इकाई Poetry (page 22)

ग़म का ये सलीक़ा भी रह गया है अब हम तक

अज़ीम मुर्तज़ा

किसे मिलती नजात 'आज़ाद' हस्ती के मसाइल से

आज़ाद गुलाटी

वो रूह के गुम्बद में सदा बन के मिलेगा

आज़ाद गुलाटी

तुम्हारे पास रहें हम तो मौत भी क्या है

आज़ाद गुलाटी

लम्हा लम्हा इक नई सई-ए-बक़ा करती हुई

आज़ाद गुलाटी

बहुत लम्बा सफ़र तपती सुलगती ख़्वाहिशों का था

आज़ाद गुलाटी

ये इक शान-ए-ख़ुदा है मैं नहीं हूँ

आज़ाद अंसारी

आइने से गुज़रने वाला था

औरंगज़ेब

ख़्वाहिशें दुनिया की बार-ए-दोश-ओ-गर्दन हो गईं

औज लखनवी

वक़्त ने लूटे हैं हस्ती के ख़ज़ाने कितने

अतीब एजाज़

ढला जो दिन तो गया नूर-ए-आफ़्ताब भी साथ

अता हुसैन कलीम

छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर

असरार-उल-हक़ मजाज़

शौक़-ए-गुरेज़ाँ

असरार-उल-हक़ मजाज़

ख़िराज-अक़ीदत

असरार-उल-हक़ मजाज़

इंक़लाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

ये मेरी दुनिया ये मेरी हस्ती

असरार-उल-हक़ मजाज़

सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है

असरार-उल-हक़ मजाज़

फिर कोई ताज़ा-सितम वो सितम-ईजाद करे

असरा रिज़वी

मैं तिरे शहर में फिरती रही मारी मारी

असरा रिज़वी

क्यूँ मुझ से गुरेज़ाँ है मैं तेरा मुक़द्दर हूँ

असलम महमूद

वही ख़्वाबीदा ख़ामोशी वही तारीक तन्हाई

असलम कोलसरी

दिल-ए-पुर-ख़ूँ को यादों से उलझता छोड़ देते हैं

असलम कोलसरी

हंगामा-ए-हस्ती से गुज़र क्यूँ नहीं जाते

असलम फ़र्रुख़ी

हंगामा-ए-हस्ती से गुज़र क्यूँ नहीं जाते

असलम फ़र्रुख़ी

ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल

असलम अंसारी

लरज़ लरज़ के दिल-ए-ना-तवाँ ठहर ही न जाए

असलम अंसारी

कुछ तो ग़म-ख़ाना-ए-हस्ती में उजाला होता

असलम अंसारी

ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था

असलम अंसारी

अपनी हालत पे आँसू बहाने लगे

आसिमा ताहिर

मक़्सूद-अली-'दीवाना'

आसिफ़ रज़ा

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