अनुमति Poetry (page 2)

तुझ को पाने के लिए ख़ुद से गुज़र तक जाऊँ

सलीम सिद्दीक़ी

अब फ़ैसला करने की इजाज़त दी जाए

सलीम कौसर

दोस्तो के काम आना जुर्म है

साजिद असर

एक पुरानी नज़्म

सादिक़

अगर नहीं है इजाज़त सवाल मत करना

सबीहा सबा, पाकिस्तान

उस का वादा ता-क़यामत कम से कम

सबा अकबराबादी

उड़ा सकता नहीं कोई मिरे अंदाज़-ए-शेवन को

साइल देहलवी

ये कोई बात है सुनता न बाग़बाँ मेरी

रियाज़ ख़ैराबादी

लाव-लश्कर जाह-ओ-हशमत है यहाँ

रसूल साक़ी

एक दो ख़्वाब अगर देख लिए जाएँगे

राना आमिर लियाक़त

ज़र्रा इंसान कभी दश्त-नगर लगता है

राम रियाज़

सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ख़ुद को मुम्ताज़ बनाने की दिली-ख़्वाहिश में

राही फ़िदाई

बिल-एहतिमाम ज़ुल्म की तज्दीद की गई

इक़बाल अज़ीम

तुझ से इक हाथ क्या मिला लिया है

इमरान आमी

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

दोस्त क्या ख़ुद को भी पुर्सिश की इजाज़त नहीं दी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बला नई कोई पालूँ अगर इजाज़त हो

इफ़्फ़त अब्बास

इतनी सी इस जहाँ की हक़ीक़त है और बस

हुसैन सहर

वक़्त की आँख से कुछ ख़्वाब नए माँगता है

हुमैरा राहत

छोड़ेंगे गरेबाँ का न इक तार कभी हम

हातिम अली मेहर

उन को जो शुग़्ल-ए-नाज़ से फ़ुर्सत न हो सकी

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

बेकली से मुझे राहत होगी

हसरत मोहानी

तलाक़

हमीदा शाहीन

मुझे विर्सा नहीं मिला

हमीदा शाहीन

जब तक कि तबीअ'त से तबीअत नहीं मिलती

हफ़ीज़ जौनपुरी

लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना

हबीब जालिब

और सब भूल गए हर्फ़-ए-सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

और सब भूल गए हर्फ़ सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

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