सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी

सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी

नज़र शम-ए-शिकायत की तरह थी

बहुत कुछ कहने वाला चुप खड़ा था

फ़ज़ा उजली सी हैरत की तरह थी

कहा दिल ने कि बढ़ के उस को छू लूँ

अदा ख़ुद ही इजाज़त की तरह थी

न आया वो मिरे हम-राह यूँ तो

मगर इक शय रिफ़ाक़त की तरह थी

मैं तेज़ ओ सुस्त बढ़ता जा रहा था

हवा हर्फ़-ए-हिदायत की तरह थी

न पूछ उस की नज़र में क्या थे मेयार

पसंद उस की रिआयत की तरह थी

मिला अब के वो इक चेहरा लगाए

मगर सब बात आदत की तरह थी

न लड़ता मैं कि थी छोटी सी इक बात

मगर ऐसी कि तोहमत की तरह थी

कोई शय थी बनी जो हुस्न-ए-इज़हार

मिरे दिल में अज़िय्यत की तरह थी

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In Hindi By Famous Poet Rajinder Manchanda, Bani. is written by Rajinder Manchanda, Bani. Complete Poem in Hindi by Rajinder Manchanda, Bani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.