संभावना Poetry (page 2)

साथ होने के यक़ीं में भी मिरे साथ हो तुम

तारिक़ क़मर

सिसकती मज़लूमियत के नाम

तारिक़ क़मर

कभी न आएँगे जाने वाले

तारिक़ क़मर

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

अपनी पलकों के शबिस्तान में रक्खा है तुम्हें

तारिक़ क़मर

आज किस ख़्वाब की ताबीर नज़र आई है

तारिक़ नईम

लम्हा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना

तनवीर अंजुम

लम्हा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना

तनवीर अंजुम

हम अगर दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते

सय्यद ज़मीर जाफ़री

अगर हम दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते

सय्यद ज़मीर जाफ़री

जब कहो क्यूँ हो ख़फ़ा क्या बाइ'स

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

इतने इम्कान कब हुए पहले

सय्यद सग़ीर सफ़ी

बक रहा हूँ आज कल हिज़यान बाक़ी ख़ैर है

सय्यद फ़हीमुद्दीन

मुनव्वर और मुबहम इस्तिआरे देख लेता हूँ

सय्यद अमीन अशरफ़

तेरे मिलने का आख़िरी इम्कान

स्वप्निल तिवारी

जब तलक रौशनी-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र बाक़ी है

सुरूर बाराबंकवी

साँस उखड़ी हुई सूखे हुए लब कुछ भी नहीं

सुल्तान अख़्तर

इम्कान खुले दर का हर आन बहुत रक्खा

सुहैल अहमद ज़ैदी

मैं आ रहा हूँ

सूफ़ी तबस्सुम

फिर सूरज ने शहर पे अपने क़हर का यूँ आग़ाज़ किया

सिराज अजमली

आरज़ू जीने की थी इम्कान जीने का न था

सिद्दीक़ मुजीबी

घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना

शुजा ख़ावर

बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका

शुजा ख़ावर

मस्लहत के ज़ावियों से किस क़दर अंजान है

शहपर रसूल

ईमान की लग़्ज़िश का इम्कान अरे तौबा

शौक़ बहराइची

पस्पाई

शरीफ़ कुंजाही

सराबों का सफ़र

शमीम क़ासमी

ये तिरी ख़ल्क़-नवाज़ी का तक़ाज़ा भी नहीं

शकील जमाली

दूर सहरा में जहाँ धूप शजर रखती है

शाहिद लतीफ़

ग़मों की रात है और इतनी मुख़्तसर भी नहीं

शाहिद कमाल

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