काम Poetry (page 56)

सुब्ह सफ़र और शाम सफ़र

अब्दुल मन्नान तरज़ी

मैं पहुँचा अपनी मंज़िल तक मगर आहिस्ता आहिस्ता

अब्दुल मन्नान तरज़ी

खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

वो है हैरत-फ़ज़ा-ए-चश्म-ए-मा'नी सब नज़ारों में

अब्दुल मजीद सालिक

ज़बाँ पर आप का नाम आ रहा था

अब्दुल हमीद अदम

वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है

अब्दुल हमीद अदम

सितारों के आगे जो आबादियाँ हैं

अब्दुल हमीद अदम

रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ

अब्दुल हमीद अदम

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

अब्दुल हमीद अदम

मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

ख़ुश हूँ कि ज़िंदगी ने कोई काम कर दिया

अब्दुल हमीद अदम

गो तिरी ज़ुल्फ़ों का ज़िंदानी हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं

अब्दुल हमीद अदम

दिल को दिल से काम रहेगा

अब्दुल हमीद अदम

भूली-बिसरी बातों से क्या तश्कील-ए-रूदाद करें

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

बे-जुम्बिश-ए-अब्रू तो नहीं काम चलेगा

अब्दुल हमीद अदम

इस तिलिस्म-ए-रोज़-ओ-शब से तो कभी निकलो ज़रा

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

हों क्यूँ न मुन्कशिफ़ असरार पस्त-ओ-बाला के

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

अपनी नाकाम तमन्नाओं का मातम न करो

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन

अब्दुल अहद साज़

नज़र आसूदा-काम-ए-रौशनी है

अब्दुल अहद साज़

मुझ से तो दिल भी मोहब्बत में नहीं ख़र्च हुआ

अब्बास ताबिश

ये हम को कौन सी दुनिया की धुन आवारा रखती है

अब्बास ताबिश

ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है

अब्बास ताबिश

पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से

अब्बास ताबिश

पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है

अब्बास ताबिश

कस कर बाँधी गई रगों में दिल की गिरह तो ढीली है

अब्बास ताबिश

हवा-ए-तेज़ तिरा एक काम आख़िरी है

अब्बास ताबिश

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