काम Poetry (page 55)

ख़्वाबों का नश्शा है न तमन्ना का सिलसिला

अबु मोहम्मद सहर

अब तक इलाज-ए-रंजिश-ए-बे-जा न कर सके

अबु मोहम्मद सहर

रोवने नीं मुझ दिवाने के किया सियानों का काम

आबरू शाह मुबारक

यार रूठा है हम सें मनता नहिं

आबरू शाह मुबारक

शौक़ बढ़ता है मिरे दिल का दिल-अफ़गारों के बीच

आबरू शाह मुबारक

सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान

आबरू शाह मुबारक

क़यामत राग ज़ालिम भाव काफ़िर गत है ऐ पन्ना

आबरू शाह मुबारक

पलंग कूँ छोड़ ख़ाली गोद सीं जब उठ गया मीता

आबरू शाह मुबारक

नाज़नीं जब ख़िराम करते हैं

आबरू शाह मुबारक

क्या शोख़ अचपले हैं तेरे नयन ममोला

आबरू शाह मुबारक

हुस्न पर है ख़ूब-रूयाँ में वफ़ा की ख़ू नहीं

आबरू शाह मुबारक

हुआ हूँ दिल सेती बंदा पिया की मेहरबानी का

आबरू शाह मुबारक

ख़ुश-बख़्त हैं आज़ाद हैं जो अपने सुख़न में

अबरार हामिद

जिस काम में हम ने हाथ डाला

अबरार अहमद

ये भी तो कमाल हो गया है

अबरार अहमद

कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर

अबरार अहमद

कोई सोचे न हमें कोई पुकारा न करे

अबरार अहमद

कहीं पर सुब्ह रखता हूँ कहीं पर शाम रखता हूँ

अबरार अहमद

तिरे हाथों में है तिरी क़िस्मत

आबिद वदूद

कौन कहता है कि वहशत मिरे काम आई है

आबिद मलिक

जो अपने आप को सब कुछ समझ ले

आबिद अख़्तर

दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें

अभिषेक शुक्ला

कुछ न किया अरबाब-ए-जुनूँ ने फिर भी इतना काम किया

अब्दुर रऊफ़ उरूज

समुंदर पार आ बैठे मगर क्या

अब्दुल्लाह जावेद

कभी प्यारा कोई मंज़र लगेगा

अब्दुल्लाह जावेद

चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया

अब्दुल्लाह जावेद

साकिन है कोई और वतन और किसी का

अब्दुल वहाब सुख़न

पूछी न ख़बर कभी हमारी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ख़फ़ा मत हो मुझ को ठिकाने बहुत हैं

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

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