व्यवसाय Poetry (page 1)

बातें करो

ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी

फ़ुग़ाँ के साथ तिरे राहत-ए-क़रार चले

रास आने लगी थी तन्हाई

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

तू ने नज़रों को बचा कर इस तरह देखा मुझे

ज़िया फ़तेहाबादी

जब आशिक़ी में मेरा कोई राज़-दाँ नहीं

ज़ाहिद चौधरी

वजूद उस का कभी भी न लुक़्मा-ए-तर था

ज़हीर सिद्दीक़ी

ये कारोबार-ए-चमन इस ने जब सँभाला है

ज़हीर काश्मीरी

दिल गया दिल का निशाँ बाक़ी रहा

ज़हीर देहलवी

हर इंतिख़ाब यहाँ माज़ी-ओ-अक़ब का है

ज़फ़र मुरादाबादी

इस तरह भी चला है कभी कारोबार-ए-शौक़

ज़फ़र इक़बाल

न उस को भूल पाए हैं न हम ने याद रक्खा है

ज़फ़र इक़बाल

इल्ज़ाम एक ये भी उठा लेना चाहिए

ज़फ़र इक़बाल

ब-ज़ाहिर सेहत अच्छी है जो बीमारी ज़ियादा है

ज़फ़र इक़बाल

वो मेरे बालों में यूँ उँगलियाँ फिराता था

वसीम बरेलवी

अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है

वामिक़ जौनपुरी

शाफ़्फ़ाफ़ियाँ(2)

वहीद अहमद

फ़िक्र का कारोबार था मुझ में

विकास शर्मा राज़

जीना अब दुश्वार है बाबा

तारिक़ राशीद दरवेश

सुनाओ मुझे भी एक लतीफ़ा

तनवीर अंजुम

अदम कथा

तनवीर अंजुम

तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का

तनवीर अंजुम

सब ग़म कहें जिसे कि तमन्ना कहें जिसे

ताबिश देहलवी

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हम एक उम्र जले शम-ए-रहगुज़र की तरह

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

ज़मीन-ए-इश्क़ पे ऐ अब्र-ए-ए'तिबार बरस

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

जिन के अंदर चराग़ जलते हैं

सूर्यभानु गुप्त

सोज़-ए-ग़म भी नहीं फ़ुग़ाँ भी नहीं

सुरूर बाराबंकवी

हम मुतमइन हैं उस की रज़ा के बग़ैर भी

सुल्तान अख़्तर

वो मिज़ाज दिल के बदल गए कि वो कारोबार नहीं रहा

सुलैमान अहमद मानी

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