डर Poetry (page 10)

पाम के पेड़ से गुफ़्तुगू

साक़ी फ़ारुक़ी

ज़मानों के ख़राबों में उतर कर देख लेता हूँ

साक़ी फ़ारुक़ी

शहर का शहर हुआ जान का प्यासा कैसा

साक़ी फ़ारुक़ी

लोग थे जिन की आँखों में अंदेशा कोई न था

साक़ी फ़ारुक़ी

हिरास फैल गया है ज़मीन-दानों में

साक़ी फ़ारुक़ी

हैं सेहर-ए-मुसव्विर में क़यामत नहीं करते

साक़ी फ़ारुक़ी

इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते

साक़ी फ़ारुक़ी

छुप के मिलने आ जाए रौशनी की जुरअत क्या

साक़ी फ़ारुक़ी

तब के क्या हासिल-ए-वफ़ा होगा

संदीप कोल नादिम

दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों का

समीना राजा

वो आरज़ू कि दिलों को उदास छोड़ गई

समद अंसारी

आज शायद ज़िंदगी का फ़ल्सफ़ा समझा हूँ मैं

सलीम शुजाअ अंसारी

यक़ीं की धूप में साया भी कुछ गुमान का है

सलीम सिद्दीक़ी

क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं

सलीम कौसर

कोई सच्चे ख़्वाब दिखाता है पर जाने कौन दिखाता है

सलीम कौसर

कहीं तुम अपनी क़िस्मत का लिखा तब्दील कर लेते

सलीम कौसर

आब ओ हवा है बरसर-ए-पैकार कौन है

सलीम कौसर

मैं रात हव्वा

सलीम फ़िगार

फूलों की है तख़्लीक़ कि शो'लों से बना है

सलीम बेताब

नींद से पहले

सलीम अहमद

दिलों में दर्द भरता आँख में गौहर बनाता हूँ

सलीम अहमद

ब-क़द्र-ए-हौसला कोई कहीं कोई कहीं तक है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अब के क़िमार-ए-इश्क़ भी ठहरा एक हुनर दानाई का

सज्जाद बाक़र रिज़वी

क्या पूछते हो दर्द के मारों की ज़िंदगी

सैफ़ी सरौंजी

ग़म-ए-हयात की पहनाइयों से ख़ौफ़-ज़दा

साहिर शेवी

लहु नज़्र दे रही है हयात

साहिर लुधियानवी

किसी को उदास देख कर

साहिर लुधियानवी

इश्क़ क्या चीज़ है ये पूछिए परवाने से

साहिर होशियारपुरी

हवा ने सीने में ख़ंजर छुपा के रक्खा है

साहिबा शहरयार

इक बर्फ़ का दरिया अंदर था

साहिबा शहरयार

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