ख़िलाफ़ Poetry (page 4)

वो अपनी ज़ात में गुम था नहीं खुला मेरे साथ

फ़रताश सय्यद

अगर मैं चीख़ूँ

फ़रहत एहसास

तुझे ख़बर हो तो बोल ऐ मिरे सितारा-ए-शब

फ़रहत एहसास

दबा पड़ा है कहीं दश्त में ख़ज़ाना मिरा

फ़रहत एहसास

असीर-ए-ख़ाक भी हूँ ख़ाक से रिहा भी हूँ मैं

फ़रहत एहसास

यारो हुदूद-ए-ग़म से गुज़रने लगा हूँ मैं

फ़राग़ रोहवी

उस ने देखा था अजब एक तमाशा मुझ में

एजाज़ उबैद

फ़ासलों की बात

एजाज़ अहमद एजाज़

जो ले के उन की तमन्ना के ख़्वाब निकलेगा

एहसान दानिश

जब सर-ए-बाम वो ख़ुर्शीद-जमाल आता है

चरख़ चिन्योटी

हुब्ब-ए-क़ौमी

चकबस्त ब्रिज नारायण

दुश्मन ब-नाम-ए-दोस्त बनाना मुझे भी है

बिल्क़ीस ख़ान

ख़ुद अपने जुर्म का मुजरिम को ए'तिराफ़ न था

बेकल उत्साही

बाज़ार-ए-ज़िंदगी में जमे कैसे अपना रंग

बशर नवाज़

शाने की हर ज़बाँ से सुने कोई लाफ़-ए-ज़ुल्फ़

ज़फ़र

एक ज़िंदगी और मिल जाए

अज़रा अब्बास

ऐ दिल ये है ख़िलाफ़-ए-रस्म-ए-वफ़ा-परस्ती

अज़ीज़ लखनवी

कुछ अब के रस्म-ए-जहाँ के ख़िलाफ़ करना है

अज़हर अदीब

किसी और को मैं तिरे सिवा नहीं चाहता

अताउल हसन

वक़्त बे-वक़्त ये पोशाक मिरी ताक में है

आसिम वास्ती

हरीफ़ कोई नहीं दूसरा बड़ा मेरा

असअ'द बदायुनी

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

अरशद अली ख़ान क़लक़

मताअ-ओ-माल न दे दौलत-ए-तबाही दे

अक़ील शादाब

मय-कशो जान के लाले नज़र आते हैं मुझे

अक़ील शादाब

क्या ख़बर थी कि तिरे साथ ये दुनिया होगी

अंजुम सिद्दीक़ी

उम्र की सारी थकन लाद के घर जाता हूँ

अंजुम सलीमी

बदल चुके हैं सब अगली रिवायतों के निसाब

अंजुम ख़लीक़

जगमगा उट्ठा है रंग मंच

अमित गुप्ता

कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़

अल्लामा इक़बाल

मैं नक़्श-हा-ए-ख़ून-ए-वफ़ा छोड़ जाऊँगा

अलीम उस्मानी

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