आपका Poetry (page 19)

हसीन दुनिया उजड़ गई तो

रेहान अल्वी

शहर अपना है मगर लोग कहाँ हैं अपने

रज़्ज़ाक़ अफ़सर

जिस को तुम कहते हो ख़ुश-बख़्त सदा है मज़लूम

रज़िया फ़सीह अहमद

इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो

रज़िया फ़सीह अहमद

मैं कहाँ और अर्ज़-ए-हाल कहाँ

राज़ी अख्तर शौक़

रैलियाँ ही रैलियाँ

रज़ा नक़वी वाही

वास्ता कोई न रख कर भी सितम ढाते हो तुम

रज़ा लखनवी

ख़याल-ए-हुस्न में यूँ ज़िंदगी तमाम हुई

रज़ा लखनवी

अब्र के बिन देखे हरगिज़ ख़ुश दिल-ए-मस्ताँ न हो

रज़ा अज़ीमाबादी

उम्र-ए-अबद से ख़िज़्र को बे-ज़ार देख कर

रविश सिद्दीक़ी

पशेमाँ हैं तर्क-ए-मोहब्बत के बा'द

रविश सिद्दीक़ी

इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है

रविश सिद्दीक़ी

न जाने कब से मैं गर्द-ए-सफ़र की क़ैद में था

रौनक़ रज़ा

मुझ को मत छूना कि रिस कर फूटने वाला हूँ मैं

रौनक़ रज़ा

कुछ अजब सा हूँ सितमगर मैं भी

रउफ़ रज़ा

वो ख़ुश-सुख़न तो किसी पैरवी से ख़ुश न हुआ

रऊफ़ ख़ैर

ना-ख़ुश गदाई से न वो शाही से ख़ुश हुए

रऊफ़ ख़ैर

हम अगर रद्द-ए-अमल अपना दिखाने लग जाएँ

रऊफ़ ख़ैर

बिकती नहीं फ़क़ीर की झोली ही क्यूँ न हो

रऊफ़ ख़ैर

साक़ी-ए-रंगीं-अदा था बादा-ए-गुलफ़ाम था

रशीद शाहजहाँपुरी

साक़ी-ए-रंगीं-अदा था बादा-ए-गुलफ़ाम था

रशीद शाहजहाँपुरी

इक सितारा जो आसमान में है

राशिद क़य्यूम अनसर

हवा के लम्स से भड़का भी हूँ मैं

राशिद मुफ़्ती

तब्दीली

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

मैं दश्त-ए-शेर में यूँ राएगाँ तो होता रहा

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

इंकिशाफ़

राशिद आज़र

समझ रहा है तिरी हर ख़ता का हामी मुझे

राशिद आज़र

हयात दी तो उसे ग़म का सिलसिला भी किया

राशिद आज़र

चाहत तुम्हारी सीने पे क्या गुल कतर गई

राशिद आज़र

अजीब जुम्बिश-ए-लब है ख़िताब भी न करे

राशिद आज़र

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