मांग Poetry (page 3)

आज फिर ये कह रहा हूँ

सलाम मछली शहरी

तुम अगर दो न पैरहन अपना

सख़ी लख़नवी

निस्बत वही माह-ए-आसमाँ से

सख़ी लख़नवी

तस्वीरें

सज्जाद ज़हीर

विर्सा

साहिर लुधियानवी

तुलू-ए-इश्तिराकियत

साहिर लुधियानवी

सुबूत माँग रहे हैं मिरी तबाही का

सहबा अख़्तर

मैं दोस्त से न किसी दुश्मनी से डरता हूँ

सईद नक़वी

अपनी यादें उस से वापस माँग कर

साबिर ज़फ़र

मैं ने घाटे का भी इक सौदा किया

साबिर ज़फ़र

अजनबी

साबिर दत्त

ज़िंदगानी हँस के तय अपना सफ़र कर जाएगी

सबा इकराम

ले गया घर से उन्हें ग़ैर के घर का ता'वीज़

रियाज़ ख़ैराबादी

हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात

रियाज़ ख़ैराबादी

फ़रियाद-ए-जुनूँ और है बुलबुल की फ़ुग़ाँ और

रियाज़ ख़ैराबादी

रक़्स

रिफ़अत नाहीद

ख़ुदा से उसे माँग कर देखते हैं

रेनू नय्यर

ख़ुदा से उसे माँग कर देखते हैं

रेनू नय्यर

दिन का मलाल शाम की वहशत कहाँ से लाएँ

राज़ी अख्तर शौक़

अब क्या गिला कि रूह को खिलने नहीं दिया

राशिद मुफ़्ती

तुझ से भी हसीं है तिरे अफ़्कार का रिश्ता

रशीद क़ैसरानी

माना वो एक ख़्वाब था धोका नज़र का था

रशीद क़ैसरानी

माना वो एक ख़्वाब था धोका नज़र का था

रशीद क़ैसरानी

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से

राना अकबराबादी

लिख लिख के आँसुओं से दीवान कर लिया है

राजेश रेड्डी

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले

इरफ़ान सत्तार

घर से निकलो तो दुआ माँग के निकलो वर्ना

इरफ़ान परभनवी

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

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