तुम अगर दो न पैरहन अपना

तुम अगर दो न पैरहन अपना

चर्ख़ से माँग लूँ कफ़न अपना

आगे करते थे इस तरह पामाल

याद तो कीजिए चलन अपना

आज हम जान देने आए हैं

कुछ दिखाते हो बाँकपन अपना

शाना ज़ुल्फ़ों में वाँ नहीं उलझा

साँप दिखला रहा है फन अपना

याद रखियो हमारी पामाली

भूलियो मत कभी चलन अपना

या कहो हम कुएँ में डूब मरें

या दिखाओ कूचा-ए-ज़क़न अपना

हम वो बुलबुल नहीं जो बाग़ को जाएँ

कूचा-ए-यार है चमन अपना

हम को दिखला के तंग करते हैं

गह कमर अपनी गह दहन अपना

जिस को कहते हैं लोग शहर कड़ा

ऐ 'सख़ी' है वही वतन अपना

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In Hindi By Famous Poet Sakhi Lakhnvi. is written by Sakhi Lakhnvi. Complete Poem in Hindi by Sakhi Lakhnvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.