मांग Poetry (page 5)

उजाला कैसा उजाले का ख़्वाब ला न सके

एज़ाज़ अफ़ज़ल

हम ने मयख़ाने की तक़्दीस बचा ली होती

एज़ाज़ अफ़ज़ल

कहा लैला की माँ ने

दिलावर फ़िगार

कोई सिवा-ए-बदन है न है वरा-ए-बदन

दानियाल तरीर

क़तरा क़तरा एहसास

चन्द्रभान ख़याल

आप हैं बे-गुनाह क्या कहना

बेख़ुद देहलवी

क़स्र-ए-जानाँ तक रसाई हो किसी तदबीर से

बेदम शाह वारसी

आएँगे गर उन्हें ग़ैरत होगी

बयान मेरठी

इस कार-ए-गह-ए-रंग में हम तंग नहीं क्या

बाक़ी सिद्दीक़ी

दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है

बाक़ी सिद्दीक़ी

शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही

ज़फ़र

बे-ख़ुदा होने के डर में बे-सबब रोता रहा

अज़रा परवीन

पस-ए-तर्क-ए-इश्क़ भी उम्र-भर तरफ़-ए-मिज़ा पे तरी रही

अज़ीज़ क़ैसी

गिर्दाब-ए-रेग-ए-जान से मौज-ए-सराब तक

अज़हर नक़वी

तमाम शख़्सियत उस की हसीं नज़र आई

अज़हर इनायती

जो ज़िंदगी की माँग सजाते रहे सदा

अज़हर अदीब

दीदार की तलब के तरीक़ों से बे-ख़बर

आज़ाद अंसारी

सीखा न दुआओं में क़नाअत का सलीक़ा

आसिम वास्ती

है नींद अभी आँख में पल भर में नहीं है

आसिम वास्ती

सराए

असग़र मेहदी होश

सिंदूर उस की माँग में देता है यूँ बहार

अरशद अली ख़ान क़लक़

डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में

अरशद अली ख़ान क़लक़

जो सुनता हूँ कहूँगा मैं जो कहता हूँ सुनूँगा मैं

अनवर शऊर

तमसील

अनवर नदीम

बदल चुके हैं सब अगली रिवायतों के निसाब

अंजुम ख़लीक़

तुम जल्वा दिखाओ तो ज़रा पर्दा-ए-दर से

अमजद नजमी

सुर्ख़ सितारा

आमिर उस्मानी

बात करने में तो जाती है मुलाक़ात की रात

अमीर मीनाई

इस दौर से ख़ुलूस मोहब्बत वफ़ा न माँग

अमीर अहमद ख़ुसरव

मैं तिरी दस्तरस से बहुत दूर था

अमीन राहत चुग़ताई

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