मौसम Poetry (page 19)

हरीफ़-ए-विसाल

हिमायत अली शाएर

ये बात तो नहीं है कि मैं कम स्वाद था

हिमायत अली शाएर

मिरे शाने पे रहने दो अभी गेसू ज़रा ठहरो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

आह ये बरसात का मौसम ये ज़ख़्मों की बहार

हया लखनवी

शौक़ कहता है कि चलिए कू-ए-जानाँ की तरफ़

हया लखनवी

ग़ैर हँसते हैं फ़क़त इस लिए टल जाता हूँ

हातिम अली मेहर

दोपहर रात आ चुकी हीला-बहाना हो चुका

हातिम अली मेहर

दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यार

हस्सान अहमद आवान

ज़र्द मौसम में भी इक शाख़ हरी रहती है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

किसे हम अपना कहें कोई ग़म-गुसार नहीं

हसीब रहबर

चले गए हो सुकून-ओ-क़रार-ए-जाँ ले कर

हसन ताहिर

साँझ-सवेरे फिरते हैं हम जाने किस वीराने में

हसन रिज़वी

फिर नए ख़्वाब बुनें फिर नई रंगत चाहें

हसन रिज़वी

पहले सी अब बात कहाँ है

हसन रिज़वी

न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है

हसन रिज़वी

मैं ने उस को बर्फ़ दिनों में देखा था

हसन रिज़वी

कोई मौसम भी हम को रास नहीं

हसन रिज़वी

हवा के रुख़ पर चराग़-ए-उल्फ़त की लौ बढ़ा कर चला गया है

हसन रिज़वी

गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना

हसन रिज़वी

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई

हसन रिज़वी

कोई मौसम हो यही सोच के जी लेते हैं

हसन नईम

एक दरख़्त एक तारीख़

हसन नईम

यही तो ग़म है वो शाइ'र न वो सियाना था

हसन नईम

याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा

हसन नईम

मैं किस वरक़ को छुपाऊँ दिखाऊँ कौन सा बाब

हसन नईम

ख़्वाब ठहरा सर-ए-मंज़िल न तह-ए-बाम कभी

हसन नईम

ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी

हसन नईम

इश्क़ को पास-ए-वफ़ा आज भी करते देखा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

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