प्यार Poetry (page 46)

दिल है और ख़ुद नगरी ज़ौक़-ए-दुआ जिस को कहें

इज्तिबा रिज़वी

मुज़्तरिब आप के बिना है जी

इफ़्तिख़ार राग़िब

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

छोड़ा न मुझे दिल ने मिरी जान कहीं का

इफ़्तिख़ार राग़िब

मोहब्बत और इबादत में फ़र्क़ तो है नाँ

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

कभी कभी तो ये हालत भी की मोहब्बत ने

इफ़्तिख़ार मुग़ल

जमाल-गाह-ए-तग़ज़्ज़ुल की ताब-ओ-तब तिरी याद

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रौशनी की डोर थामे ज़िंदगी तक आ गए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

आसाँ नहीं है जादा-ए-हैरत उबूरना

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने

इफ़्तिख़ार आरिफ़

खुला फ़रेब-ए-मोहब्बत दिखाई देता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बहुत मुश्किल ज़मानों में भी हम अहल-ए-मोहब्बत

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

खज़ाना-ए-ज़र-ओ-गौहर पे ख़ाक डाल के रख

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हम अपने रफ़्तगाँ को याद रखना चाहते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हामी भी न थे मुंकिर-ए-'ग़ालिब' भी नहीं थे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अहल-ए-मोहब्बत की मजबूरी बढ़ती जाती है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

क़ुर्बान जाऊँ हुस्न-ए-क़मर इंतिसाब के

इफ़तिख़ार अहमद फख्र

आप-बीती

इफ़्तिख़ार आज़मी

मिरी मोहब्बत की बे-ख़ुदी को तलाश-ए-हक़्क़-ए-जलाल देना

इफ़्फ़त अब्बास

एक मुद्दत से सर-ए-दोश-ए-हवा हूँ मैं भी

इफ़्फ़त अब्बास

इस क़दर मत उदास हो जैसे

इदरीस बाबर

ख़ेमगी-ए-शब है तिश्नगी दिन है

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

ख़याल-ए-बद से हमा-वक़्त इज्तिनाब करो

इबरत बहराईची

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