नाला Poetry (page 6)

ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर

ग़ालिब

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

ग़ालिब

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

फ़िराक़ गोरखपुरी

ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता

फ़िगार उन्नावी

ख़ाना-साज़ उजाला मार

फ़रहत एहसास

तिरी तिरछी नज़र का तीर है मुश्किल से निकलेगा

फ़ानी बदायुनी

क़िस्सा-ए-ज़ीस्त मुख़्तसर करते

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

बुनियाद कुछ तो हो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ले दाम-ए-निगाह-ए-यार आया

दाऊद औरंगाबादी

सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना

दाग़ देहलवी

मुझे ऐ अहल-ए-काबा याद क्या मय-ख़ाना आता है

दाग़ देहलवी

कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया

दाग़ देहलवी

बाक़ी जहाँ में क़ैस न फ़रहाद रह गया

दाग़ देहलवी

ज़ब्त-ए-नाला दिल-ए-फ़िगार न कर

बिर्ज लाल रअना

तुम से शिकायत क्या करूँ

बहज़ाद लखनवी

सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

बेदम शाह वारसी

मुझ से छुप कर मिरे अरमानों को बर्बाद न कर

बेदम शाह वारसी

मिस्ल-ए-नमरूद हर इक शख़्स ख़ुदाई माँगे

बशीर मुंज़िर

सीखा जो क़लम से न-ए-ख़ाली का बजाना

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक-न-शुद दो-शुद

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

पान खा कर सुर्मा की तहरीर फिर खींची तो क्या

ज़फ़र

है दिल को जो याद आई फ़लक-ए-पीर किसी की

ज़फ़र

आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला

अज़ीज़ क़ैसी

'मीर'

अज़ीज़ लखनवी

वो सुनें या न सुनें नाला-ओ-फ़रियाद 'अज़ीज़'

अज़ीज़ हैदराबादी

न बदलना था न बदला दिल-ए-शैदा अपना

अज़ीज़ हैदराबादी

दिल्ली से वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

ये तीरगी-ए-शब ही कुछ सुब्ह-तराज़ आती

असरार-उल-हक़ मजाज़

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