अफसोस Poetry (page 3)

सज़ा बग़ैर अदालत से मैं नहीं आया

सहर अंसारी

तौबा तौबा से नदामत की घड़ी आई है

साग़र ख़य्यामी

ज़वाल के आईने में ज़िंदा अक्स

सईद अहमद

मंज़िल पे पहुँचने का मुझे शौक़ हुआ तेज़

सबा अकबराबादी

पी के ऐ वाइज़ नदामत है मुझे

रियाज़ ख़ैराबादी

मेरे पहलू में हमेशा रही सूरत अच्छी

रियाज़ ख़ैराबादी

चढ़ते हुए दरिया की अलामत नज़र आए

रज़ा हमदानी

बहुत रौशन हम अपना नय्यर-ए-तक़दीर देखेंगे

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

एक ज़हरीली रिफ़ाक़त के सिवा है और क्या

इरफ़ान अहमद

हर बात जो न होना थी ऐसी हुई कि बस

इक़बाल उमर

छतों पे आग रही बाम-ओ-दर पे धूप रही

इक़बाल उमर

वक़्त आया तो ख़ून से अपने दाग़-ए-नदामत धो लेंगे

इलियास इश्क़ी

गरचे क़लम से कुछ न लिखेंगे मुँह से कुछ नहीं बोलेंगे

इलियास इश्क़ी

मौत सी ख़मोशी जब उन लबों पे तारी की

इकराम मुजीब

दोस्त क्या ख़ुद को भी पुर्सिश की इजाज़त नहीं दी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

इबरत मछलीशहरी

मैं उस की आँख में वो मेरे दिल की सैर में था

हुसैन ताज रिज़वी

अपने किसी अमल पे नदामत नहीं मुझे

हिमायत अली शाएर

मैं सो रहा था और कोई बेदार मुझ में था

हिमायत अली शाएर

बाहर जो नहीं था तो कोई बात नहीं थी

हिलाल फ़रीद

रुकने के लिए दस्त-ए-सितम-गर भी नहीं था

हिलाल फ़रीद

आँखों में वो ख़्वाब नहीं बसते पहला सा वो हाल नहीं होता

हिलाल फ़रीद

तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

तुम चुप रहे पयाम-ए-मोहब्बत यही तो है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

रुत है ऐसी कि दर-ओ-बाम न साए होंगे

हसन निज़ामी

तीसरी आँख

हसन अब्बास रज़ा

मोहब्बत में इंकार कितना हसीं है

हैरत गोंडवी

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

जब तक कि तबीअ'त से तबीअत नहीं मिलती

हफ़ीज़ जौनपुरी

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