अफसोस Poetry (page 4)

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बरसों यूँ ज़ब्त से हम ने काम लिया

हफ़ीज़ जौनपुरी

इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

अब तलक तुंद हवाओं का असर बाक़ी है

हबाब हाश्मी

इश्क़ में कब ये ज़रूरी है कि रोया जाए

गोपाल मित्तल

रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़

ग़ुलाम मौला क़लक़

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

ग़ुलाम मौला क़लक़

ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है

ग़ालिब

आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

किसी अपने से होती है न बेगाने से होती है

फ़िगार उन्नावी

ख़ुद मसीहा ख़ुद ही क़ातिल हैं तो वो भी क्या करें

फ़ानी बदायुनी

अपनी जन्नत मुझे दिखला न सका तू वाइज़

फ़ानी बदायुनी

है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है

फ़ना बुलंदशहरी

असली रूप

फख्र ज़मान

लाख बहकाए ये दुनिया हो गया तो हो गया

फ़ैज़ आलम बाबर

दो इश्क़

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

आख़िरी ख़त

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

पछतावा

फ़हमीदा रियाज़

दो घड़ी साए में जलने की अज़िय्यत और है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

दुश्मनों के दरमियान सुल्ह

एजाज़ गुल

अपनी बेचारगी पे रो न सके

द्वारका दास शोला

दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

जीने वाला ये समझता नहीं सौदाई है

बिस्मिल इलाहाबादी

भरी है दिल में जो हसरत कहूँ तो किस से कहूँ

ज़फ़र

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिक्खा

अज़्म बहज़ाद

वुसअत-ए-चश्म को अंदोह-ए-बसारत लिख्खा

अज़्म बहज़ाद

कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है

अज़्म बहज़ाद

मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब

अज़ीज़ नबील

इस वहम की इंतिहा नहीं है

अज़ीज़ लखनवी

कुछ ज़िंदगी में इश्क़-ओ-वफ़ा का हुनर भी रख

अज़ीज़ अन्सारी

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