लाख बहकाए ये दुनिया हो गया तो हो गया

लाख बहकाए ये दुनिया हो गया तो हो गया

दिल से जो इक बार मेरा हो गया तो हो गया

क्यूँ नदामत हो मुझे ला-इख़्तियारी फ़ेल पर

मैं तिरी नज़रों में रुस्वा हो गया तो हो गया

कम ज़ियादा हो तो सकता है मगर छुटता नहीं

जिस को जो इक बार नश्शा हो गया तो हो गया

दिल बहुत रोता है लेकिन उस बुत-ए-मग़रूर से

मुंक़तअ हर एक रिश्ता हो गया तो हो गया

मुंतक़िल होता है लेकिन वो कभी मरता नहीं

जो सदा-ए-कुन से पैदा हो गया तो हो गया

अपनी मर्ज़ी से यहाँ दिन काटने के जुर्म में

मैं अगर दुनिया में तन्हा हो गया तो हो गया

देखता है कौन 'बाबर' किस का क्या किरदार है

जिस से जो मंसूब क़िस्सा हो गया तो हो गया

(700) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya In Hindi By Famous Poet Faiz Alam Babar. Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya is written by Faiz Alam Babar. Complete Poem Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya in Hindi by Faiz Alam Babar. Download free Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya Poem for Youth in PDF. Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Lakh Bahkae Ye Duniya Ho Gaya To Ho Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.