नज़र Poetry (page 63)

दिल में पोशीदा तप-ए-इश्क़-ए-बुताँ रखते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

तुम्हारे जाते ही हर चश्म-ए-तर को देखते हैं

इमाम अाज़म

'इश्क़ी'-साहिब लिखना है तो कोई नई तहरीर लिखो

इलियास इश्क़ी

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

मस्जिद-ए-अहमरीं

इलियास बाबर आवान

हमारे दिन गुज़र गए

इलियास बाबर आवान

ये जो तरतीब से बना हुआ मैं

इलियास बाबर आवान

सिर्फ़ आज़ार उठाने से कहाँ बनता है

इलियास बाबर आवान

और ही कहीं ठहरे और ही कहीं पहुँचे

इकराम मुजीब

नशात-ए-नौ की तलब है न ताज़ा ग़म का जिगर

इकराम आज़म

दिल है और ख़ुद नगरी ज़ौक़-ए-दुआ जिस को कहें

इज्तिबा रिज़वी

तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं

इफ़्तिख़ार राग़िब

सज़ा ही दी है दुआओं में भी असर दे कर

इफ़्तिख़ार नसीम

है जुस्तुजू अगर इस को इधर भी आएगा

इफ़्तिख़ार नसीम

तुम्हें भी चाहा, ज़माने से भी वफ़ा की थी

इफ़्तिख़ार मुग़ल

जमाल-गाह-ए-तग़ज़्ज़ुल की ताब-ओ-तब तिरी याद

इफ़्तिख़ार मुग़ल

ये तिरा बाँकपन ये रानाई

इफ़्तिख़ार जमील शाहीन

वो ख़्वाब था बिखर गया ख़याल था मिला नहीं

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

मलबे से जो मिली हैं वो लाशें दिखाइए

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

कोई जुनूँ कोई सौदा न सर में रक्खा जाए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

यक़ीन से यादों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर-आशोब

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रौशन दिल वालों के नाम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मोहब्बत की एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

ये नक़्श हम जो सर-ए-लौह-ए-जाँ बनाते हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सितारा-वार जले फिर बुझा दिए गए हम

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कोई जुनूँ कोई सौदा न सर में रक्खा जाए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कहीं से कोई हर्फ़-ए-मो'तबर शायद न आए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब ये भी किसी और पर नहीं आया

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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