नींद Poetry (page 20)

अब कोई और मुसीबत तो न पाली जाए

औरंगज़ेब

वो रात नींद की दहलीज़ पर तमाम हुई

अतीक़ुल्लाह

कितना मुश्किल है

अतीक़ुल्लाह

कुछ और दिन अभी उस जा क़याम करना था

अतीक़ुल्लाह

कुछ और दिन अभी इस जा क़याम करना था

अतीक़ुल्लाह

साक़ी

असरार-उल-हक़ मजाज़

आज की रात

असरार-उल-हक़ मजाज़

ये तीरगी-ए-शब ही कुछ सुब्ह-तराज़ आती

असरार-उल-हक़ मजाज़

उदास आँखें ग़ज़ाल आँखें

असरा रिज़वी

मुझे दरिया बनाना चाहती है

असलम राशिद

भीगे शेर उगलते जीवन बीत गया

असलम कोलसरी

फेंका था किस ने संग-ए-हवस रात ख़्वाब में

असलम आज़ाद

आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को

असलम आज़ाद

ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था

असलम अंसारी

ख़्वाब का इंतिज़ार ख़त्म हुआ

आसिमा ताहिर

ज़ख़्म खा के भी मुस्कुराते हैं

आसिमा ताहिर

है नींद अभी आँख में पल भर में नहीं है

आसिम वास्ती

है मुस्तक़िल यही एहसास कुछ कमी सी है

आसिम वास्ती

जब से मेरे दिल में आ कर इश्क़ का थाना हुआ

आसिफ़ुद्दौला

सफ़ीना ग़र्क़ हुआ मेरा यूँ ख़मोशी से

आसिफ़ रज़ा

उठ चुका दिल मिरा ज़माने से

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

नींद

अशोक लाल

मिरी ग़ज़ल गुनगुना रहा था

अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी

दिल जारी है

असग़र नदीम सय्यद

धूप-भरी अजरक

असग़र नदीम सय्यद

काम कुछ तो लेना था अपने दीदा-ए-तर से

असग़र मेहदी होश

चेहरों को बे-नक़ाब समझने लगा था मैं

असग़र मेहदी होश

फेर जो पड़ना था क़िस्मत में वो हस्ब-ए-मामूल पड़ा

आरज़ू लखनवी

मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने

आरज़ू लखनवी

ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें

आरज़ू लखनवी

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