नज़र Poetry (page 20)

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा

हफ़ीज़ मेरठी

ऐ दिल ख़ुशी का ज़िक्र भी करने न दे मुझे

हफ़ीज़ मेरठी

सुन के मेरे इश्क़ की रूदाद को

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब

हफ़ीज़ जौनपुरी

इसी ख़याल से तर्क उन की चाह कर न सके

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट

हफ़ीज़ जौनपुरी

बुत-कदा नज़दीक काबा दूर था

हफ़ीज़ जौनपुरी

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ये क्या मक़ाम है वो नज़ारे कहाँ गए

हफ़ीज़ जालंधरी

उस शोख़ ने निगाह न की हम भी चुप रहे

हफ़ीज़ जालंधरी

तिरे दिल में भी हैं कुदूरतें तिरे लब पे भी हैं शिकायतें

हफ़ीज़ जालंधरी

मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का

हफ़ीज़ जालंधरी

कोई दवा न दे सके मशवरा-ए-दुआ दिया

हफ़ीज़ जालंधरी

कम-बख़्त दिल बुरा हुआ तिरी आह आह का

हफ़ीज़ जालंधरी

बे-चारगी-ए-हसरत-ए-दीदार देखना

हफ़ीज़ होशियारपुरी

अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ये हादसा भी शहर-ए-निगाराँ में हो गया

हफ़ीज़ बनारसी

ख़फ़ा है गर ये ख़ुदाई तो फ़िक्र ही क्या है

हफ़ीज़ बनारसी

गुमराह कह के पहले जो मुझ से ख़फ़ा हुए

हफ़ीज़ बनारसी

ज़बाँ पे हर्फ़-ए-शिकायत अरे मआज़-अल्लाह

हादी मछलीशहरी

उस बेवफ़ा की बज़्म से चश्म-ए-ख़याल में

हादी मछलीशहरी

तुम्हारे गाँव से जो रास्ता निकलता है

हबीब तनवीर

शहर वीराँ उदास हैं गलियाँ

हबीब जालिब

नज़र नज़र में लिए तेरा प्यार फिरते हैं

हबीब जालिब

न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में

हबीब जालिब

दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले

हबीब जालिब

भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे

हबीब जालिब

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