निशां Poetry (page 17)

हम पे ताज़ीर ये रहने दीजे

अनवार फ़िरोज़

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

जब मिरी ज़ीस्त के उनवाँ नए मतलूब हुए

अनवर मोअज़्ज़म

इस से आगे तो बस ला-मकाँ रह गया

अंजुम सलीमी

नहीं नाम-ओ-निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं

अंजुम रूमानी

ख़ामोशी का शहर

अनीस नागी

तुम्हारे शहर में इतने मकाँ गिरे कैसे

अनीस अंसारी

अरमाँ को छुपाने से मुसीबत में है जाँ और

आनंद नारायण मुल्ला

रौशनी कम है

अमजद नजमी

शिकस्त-ए-अना

अमजद इस्लाम अमजद

एक कमरा-ए-इम्तिहान में

अमजद इस्लाम अमजद

चश्म-ए-बे-ख़्वाब को सामान बहुत

अमजद इस्लाम अमजद

बंद था दरवाज़ा भी और अगर में भी तन्हा था मैं

अमजद इस्लाम अमजद

दिल पे वो वक़्त भी किस दर्जा गिराँ होता है

आमिर उस्मानी

तअ'ल्लुक़ात के सारे दिए बुझे हुए थे

आमिर नज़र

हर रहगुज़र में काहकशाँ छोड़ जाऊँगा

अमीर क़ज़लबाश

हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे

अमीर मीनाई

मैं रो के आह करूँगा जहाँ रहे न रहे

अमीर मीनाई

कुछ ख़ार ही नहीं मिरे दामन के यार हैं

अमीर मीनाई

तशन्नुज

अमीक़ हनफ़ी

मंज़िल-ए-शम्स-ओ-क़मर से गुज़रे

अमीन राहत चुग़ताई

जब कोई भी ख़ाक़ान सर-ए-बाम न होगा

अमीन राहत चुग़ताई

क़ौमी तराना

अल्ताफ़ मशहदी

मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ख़ूबियाँ अपने में गो बे-इंतिहा पाते हैं हम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जीते जी मौत के तुम मुँह में न जाना हरगिज़

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ज़ख़्म दिल का ख़ूँ-चकाँ ऐसा न था

अलक़मा शिबली

सवालों में ख़ुद भी है डूबी उदासी

आलोक मिश्रा

तराना-ए-मिल्ली

अल्लामा इक़बाल

तराना-ए-हिन्दी

अल्लामा इक़बाल

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