निशां Poetry (page 3)

छब्बीस जनवरी

तिलोकचंद महरूम

काविशों से अमाँ मिले न मिले

तिलोकचंद महरूम

कितने ही तीर ख़म-ए-दस्त-ओ-कमाँ में होंगे

तौसीफ़ तबस्सुम

तेरी वफ़ा का हम को गुमाँ इस क़दर हुआ

तासीर सिद्दीक़ी

मिरी निगाह किसी ज़ाविए पे ठहरे भी

तारिक़ नईम

धूप जब तक सर पे थी ज़ेर-ए-क़दम पाए गए

तालिब जोहरी

ख़िज़ाँ ब-रंग-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो

तालिब चकवाली

मिरे ख़याल का साया जहाँ पड़ा होगा

तख़्त सिंह

एक एक क़तरा उस का शो'ला-फ़िशाँ सा है

तख़्त सिंह

शिकवा न हो तसलसुल-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ रहे

तजम्मुल हुसैन अख़्तर

जिस ने तेरी याद में सज्दे किए थे ख़ाक पर

ताहिर फ़राज़

सवाद-ए-ग़म में कहीं गोशा-ए-अमाँ न मिला

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

ताबाँ अब्दुल हई

उन्स है ख़ाना-ए-सय्याद से गुलशन कैसा

तअशशुक़ लखनवी

इस तवक़्क़ो' पे कि देखूँ कभी आते जाते

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

तेरा ये हुस्न-ए-बे-कराँ मुक़य्यद ज़मान है

सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद

दिल-ए-मुज़्तर की दवा कीजिएगा

सय्यद नवाब हैदर नक़वी

कैफ़ियत ही कैफ़ियत में हम कहाँ तक आ गए

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

सिगरेट और पान का मुकालिमा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

इसी ख़याल से दिल की रफ़ू-गरी नहीं की

सय्यद काशिफ़ रज़ा

ब-फ़ैज़-ए-आगही है मुद्दआ संजीदा संजीदा

सय्यद जमील मदनी

ऊँची नीची पेच खाती दौड़ती काली सड़क

सय्यद अहमद शमीम

ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ का निशाँ है कि जो था

सय्यद आबिद अली आबिद

ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-जानाँ का निशाँ है कि जो था

सय्यद आबिद अली आबिद

गंगा जी

सुरूर जहानाबादी

मेरे और अपने दरमियाँ उस ने

सुरेन्द्र शजर

वही बे-सबब से निशाँ हर तरफ़

सुल्तान अख़्तर

ये हाथ

सुलैमान अरीब

इस ज़मीन ओ आसमाँ पर ख़ाक डाल

सुहैल अख़्तर

हर एक नक़्श तिरे पाँव का निशाँ सा है

सूफ़ी तबस्सुम

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