उड़ान Poetry (page 4)

इक परिंदा अभी उड़ान में है

अमीर क़ज़लबाश

इक परिंदा अभी उड़ान में है

अमीर क़ज़लबाश

गर्द-बाद

अख़्तर उस्मान

अभी तो पर भी नहीं तौलता उड़ान को मैं

अख़्तर उस्मान

मुलाहिज़ा हो मिरी भी उड़ान पिंजरे में

अखिलेश तिवारी

कभी तो डूब चले हम कभी उभरते हुए

अखिलेश तिवारी

ख़याल वो भी मिरे ज़ेहन के मकान में था

अहसन इमाम अहसन

सुब्ह-ए-वजूद हूँ कि शब-ए-इंतिज़ार हूँ

अहमद शनास

है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो

अहमद शनास

अबद

अहमद हमेश

मैं गुफ़्तुगू हूँ कि तहरीर के जहान में हूँ

अदीम हाशमी

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

जो कुछ भी ये जहाँ की ज़माने की घर की है

अब्दुल अहद साज़

रातें गुज़ारने को तिरी रहगुज़र के साथ

अब्बास ताबिश

मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है

अब्बास दाना

ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था

आशुफ़्ता चंगेज़ी

मैं डर रहा हूँ हर इक इम्तिहान से पहले

आनन्द सरूप अंजुम

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