िशाक Poetry (page 4)

जब परी-रू हिजाब करते हैं

दाऊद औरंगाबादी

किसी पहलू नहीं चैन आता है उश्शाक़ को तेरे

भारतेंदु हरिश्चंद्र

ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

दिल चुरा ले गई दुज़्दीदा-नज़र देख लिया

बेख़ुद देहलवी

तूर वाले तिरी तनवीर लिए बैठे हैं

बेदम शाह वारसी

तेरी उल्फ़त शोबदा-पर्वाज़ है

बेदम शाह वारसी

पार दरिया-ए-शहादत से उतर जाते हैं सर

बयान मेरठी

ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़

बयान मेरठी

सामने रह कर न होना मसअला मेरा भी है

आसिम वास्ती

ऐ तजल्ली क्या हुआ शेवा तिरी तकरार का

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

शरफ़ इंसान को कब ज़िल्ल-ए-हुमा देता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

सैर करते उसे देखा है जो बाज़ारों में

अरशद अली ख़ान क़लक़

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

अरशद अली ख़ान क़लक़

परतव-ए-रुख़ का तिरे दिल में गुज़र रहता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

हुज़ूर-ए-ग़ैर तुम उश्शाक़ की तहक़ीर करते हो

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

इक दूजे को देर से समझा देर से यारी की

अंजुम सलीमी

लुत्फ़ अब ज़ीस्त का ऐ गर्दिश-ए-अय्याम नहीं

अमानत लखनवी

शिकवा

अल्लामा इक़बाल

तू है किस मंज़िल में तेरा बोल खाँ है दिल का ठार

अलीमुल्लाह

ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है

अलीमुल्लाह

अक़्ल को छोड़ इश्क़ में आ जा

अलीमुल्लाह

वही बे-बाकी-ए-उश्शाक़ है दरकार अब भी

अजमल सिराज

वो बज़्म में हैं रोते हैं उश्शाक़ चौ तरफ़

अहमद हुसैन माइल

पेच रखते हो बहुत साहिबो दस्तार के बीच

अहमद फ़राज़

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

आग़ा हज्जू शरफ़

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

आग़ा हज्जू शरफ़

क्या जानिए क्या है हद-ए-इदराक से आगे

अबरार अहमद

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

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