फूल Poetry (page 24)

ये वक़्त जब भी लहू का ख़िराज माँगता है

रज़ा मौरान्वी

किसी के ज़ख़्म पर अश्कों का फाहा रख दिया जाए

रज़ा मौरान्वी

वास्ता कोई न रख कर भी सितम ढाते हो तुम

रज़ा लखनवी

हुस्न की फ़ितरत में दिल-आज़ारियाँ

रज़ा लखनवी

तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

रज़ा जौनपुरी

ये किस मक़ाम पे ठहरा है कारवान-ए-वफ़ा

रज़ा हमदानी

हुस्न पाबंद-ए-हिना हो जैसे

रज़ा हमदानी

दामन से अपने झाड़ के सहरा-ए-ग़म की धूल

रज़ा अश्क

शाख़ पर फूल खिल गए हैं ना

रवी कुमार

ज़िंदगी के कैसे कैसे हौसले पथरा गए

रौनक़ रज़ा

जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

रौनक़ दकनी

नाश्ते पर जिसे आज़ाद किया है मैं ने

रउफ़ रज़ा

अब ज़ीस्त मिरे इम्कान में है

राशिद नूर

ग़ौर करो तो चेहरा चेहरा ओढ़े गहरे गहरे रंग

राशिद मतीन

सवाल गूँज के चुप हैं जवाब आए नहीं

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

ये वहम है मेरा कि हक़ीक़त में मिला है

राशिद हामिदी

कोई साया न शजर याद आया

राशिद हामिदी

उर्दू

राशिद बनारसी

ये सोच कर मैं रुका था कि तू पुकारेगा

राशिद अनवर राशिद

सुना कि ख़ूब है उस के दयार का मौसम

राशिद अनवर राशिद

क्या कोई याद तिरे दिल को दुखाती है हवा

राशिद अनवर राशिद

दस्त-ए-इम्काँ में कोई फूल खिलाया जाए

राशिद अनवर राशिद

शहर से कोई मज़ाफ़ात में आया हुआ था

राशिद अमीन

अपनी क़िस्मत के हुए सारे सितारे पत्थर

रशीदुज़्ज़फ़र

आँख इम्कान से भरी हुई थी

राशिदा माहीन मलिक

लाख चाहा मैं ने पर्दा सामने आया नहीं

रशीद उस्मानी

अगरचे मैं ने लिखीं उस को अर्ज़ियाँ भी बहुत

रशीद उस्मानी

सहरा सहरा बात चली है नगरी नगरी चर्चा है

रशीद क़ैसरानी

चाहत का संसार है झूटा प्यार के सात-समुंदर झूट

रशीद क़ैसरानी

अपने ज़िंदा जिस्म की गुफ़्तार में खोया हुआ

रशीद निसार

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