कदम Poetry (page 46)

कुछ अपना पता दे कर हैरान बहुत रक्खा

अब्दुल हमीद

लहू की बूँद मिस्ल-ए-आइना हर दर पे रक्खी थी

अब्दुल हमीद साक़ी

जबीन-ए-शौक़ को कुछ और भी इज़्न-ए-सआदत दे

अब्दुल अलीम आसि

यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें

अब्दुल अहद साज़

सवाल बे-अमान बन के रह गए

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

जो कुछ भी ये जहाँ की ज़माने की घर की है

अब्दुल अहद साज़

दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है

अब्दुल अहद साज़

परों में शाम ढलती है

अब्बास ताबिश

यूँ तो शीराज़ा-ए-जाँ कर के बहम उठते हैं

अब्बास ताबिश

ये हम को कौन सी दुनिया की धुन आवारा रखती है

अब्बास ताबिश

टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है

अब्बास ताबिश

एक क़दम तेग़ पे और एक शरर पर रक्खा

अब्बास ताबिश

अजब सौदा-ए-वहशत है दिल-ए-ख़ुद-सर में रहता है

अब्बास ताबिश

अश्कों को आरज़ू-ए-रिहाई है रोइए

अब्बास क़मर

वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में

अब्बास दाना

जो सारे हम-सफ़र इक बार हिर्ज़-ए-जाँ कर लें

अब्बास अलवी

ये मय-ख़ाना है मय-ख़ाना तक़द्दुस उस का लाज़िम है

अातिश बहावलपुरी

तुम्हें ज़ेबा नहीं हरगिज़ सिले की आरज़ू रखना

अातिश बहावलपुरी

लाख पर्दों में गो निहाँ हम थे

अातिश बहावलपुरी

उसी के जल्वे थे लेकिन विसाल-ए-यार न था

आसी ग़ाज़ीपुरी

न मेरे दिल न जिगर पर न दीदा-ए-तर पर

आसी ग़ाज़ीपुरी

जो हर क़दम पे मिरे साथ साथ रहता था

आशुफ़्ता चंगेज़ी

हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

मुझे सिरे से पकड़ कर उधेड़ देती है

आलोक श्रीवास्तव

जब भी तक़दीर का हल्का सा इशारा होगा

आलोक श्रीवास्तव

ज़ंजीर से जुनूँ की ख़लिश कम न हो सकी

आल-ए-अहमद सूरूर

वो जिएँ क्या जिन्हें जीने का हुनर भी न मिला

आल-ए-अहमद सूरूर

नहीं मुमकिन कि तिरे हुक्म से बाहर मैं हूँ

आग़ा अकबराबादी

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