रास्ता Poetry (page 79)

किस का है जुर्म किस की ख़ता सोचना पड़ा

अबरार आज़मी

हम अपनी राह पकड़ते हैं देखते भी नहीं

अबरार अहमद

ये यक़ीं ये गुमाँ ही मुमकिन है

अबरार अहमद

ये रह-ए-इश्क़ है इस राह पे गर जाएगा तू

अबरार अहमद

कुछ काम नहीं है यहाँ वहशत के बराबर

अबरार अहमद

कि जैसे कुंज-ए-चमन से सबा निकलती है

अबरार अहमद

हमें ख़बर नहीं कुछ कौन है कहाँ कोई है

अबरार अहमद

वहीं से हद मिली है जा पहुँचता कू-ए-जानाँ तक

अब्र अहसनी गनौरी

आसूदगान-ए-हिज्र से मिलने की चाह में

आबिद मलिक

वो जो हर राह के हर मोड़ पर मिल जाता है

आबिद आलमी

तुम ने जब घर में अंधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

तुम ने जब घर में अँधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

किसी मक़ाम पे हम को भी रोकता कोई

आबिद आलमी

अगर तुम रोक दो इज़हार-ए-लाचारी करूँगा

अब्दुर्राहमान वासिफ़

सफ़ेद-पोश दरिंदों ने गुल खिलाए थे

अब्दुर्रहीम नश्तर

न पहुँचे छूट कर कुंज-ए-क़फ़स से हम नशेमन तक

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

मिज़्गाँ ने रोका आँखों में दम इंतिज़ार से

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

मैं तेरी ही आवाज़ हूँ और गूँज रहा हूँ

अब्दुल्लाह जावेद

जो गुज़रता है गुज़र जाए जी

अब्दुल्लाह जावेद

यूँ अश्क बरसते हैं मिरे दीदा-ए-तर से

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

काश समझते अहल-ए-ज़माना

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

सितम सा कोई सितम है तिरा पनाह तिरी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा

अब्दुल मतीन नियाज़

खुली जब आँख तो देखा कि था बाज़ार का हल्क़ा

अब्दुल मन्नान तरज़ी

बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने

अब्दुल मन्नान समदी

कुछ हसीं यादें भी हैं दीदा-ए-नम के साथ साथ

अब्दुल मलिक सोज़

ग़म के हाथों मिरे दिल पर जो समाँ गुज़रा है

अब्दुल मजीद सालिक

जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में

अब्दुल हमीद अदम

सिर्फ़ इक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में

अब्दुल हमीद अदम

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