रास्ता Poetry (page 8)
वो मिल गया तो बिछड़ना पड़ेगा फिर 'ज़र्रीं'
इफ़्फ़त ज़र्रीं
जिस्म-ओ-जाँ की बस्ती में सिलसिले नहीं मिलते
इफ़्फ़त ज़र्रीं
अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता
इफ़्फ़त ज़र्रीं
यहाँ से चारों तरफ़ रास्ते निकलते हैं
इदरीस बाबर
हाँ ऐ गुबार-ए-आश्ना मैं भी था हम-सफ़र तिरा
इदरीस बाबर
यहाँ से चारों तरफ़ रास्ते निकलते हैं
इदरीस बाबर
देख न इस तरह गुज़ार अर्सा-ए-चश्म से मुझे
इदरीस बाबर
मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो
इब्राहीम अश्क
फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है
हुमैरा राहत
जो मय-कदे में बहकते हैं लड़खड़ाते हैं
हयात वारसी
डाइरी में लिख के मेरे तज़्किरे रख छोड़ना
हसन नासिर
आइनों से पहले भी रस्म-ए-ख़ुद-नुमाई थी
हसन नज्मी सिकन्दरपुरी
उस इक उम्मीद को तो राहत-ए-सफ़र न समझ
हसन अकबर कमाल
दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए
हसन अकबर कमाल
इश्क़ की तक़्वीम में
हारिस ख़लीक़
अभी न जाओ अभी रास्ते सजे भी नहीं
हनीफ़ असअदी
भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
हम्माद नियाज़ी
हज़िर-ग़ाएब
हमीदा शाहीन
मंज़िल कहाँ है दूर तलक रास्ते हैं यार
हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी
इक मुजस्सम दर्द हूँ इक आह हूँ
हमदुन उसमानी
छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए
हमदम कशमीरी
वो जो अब तक लम्स है उस लम्स का पैकर बने
हकीम मंज़ूर
सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या
हैदर अली आतिश
बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया
हैदर अली आतिश
तिरी तलाश में जब हम कभी निकलते हैं
हफ़ीज़ होशियारपुरी
तिरी तलाश है या तुझ से इज्तिनाब है ये
हफ़ीज़ होशियारपुरी
हमारे अहद का मंज़र अजीब मंज़र है
हफ़ीज़ बनारसी
तुम्हारे गाँव से जो रास्ता निकलता है
हबीब तनवीर
तेरे होने से
हबीब जालिब
तिरे माथे पे जब तक बल रहा है
हबीब जालिब
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