रंग Poetry (page 101)

किसी और ने तो बुना नहीं मिरा आसमाँ मिरा आसमाँ

आलोक श्रीवास्तव

समझ तो ये कि न समझे ख़ुद अपना रंग-ए-जुनूँ

आले रज़ा रज़ा

मायूस ख़ुद-ब-ख़ुद दिल-ए-उम्मीद-वार है

आले रज़ा रज़ा

हमीं ने उन की तरफ़ से मना लिया दिल को

आले रज़ा रज़ा

अब धनक के रंग भी उन को भले लगते नहीं

आल-ए-अहमद सूरूर

ज़ंजीर से जुनूँ की ख़लिश कम न हो सकी

आल-ए-अहमद सूरूर

नवा-ए-शौक़ में शोरिश भी है क़रार भी है

आल-ए-अहमद सूरूर

ख़्वाबों से यूँ तो रोज़ बहलते रहे हैं हम

आल-ए-अहमद सूरूर

हम न इस टोली में थे यारो न उस टोली में थे

आल-ए-अहमद सूरूर

हम बर्क़-ओ-शरर को कभी ख़ातिर में न लाए

आल-ए-अहमद सूरूर

फ़ुग़ान-ए-दर्द में भी दर्द की ख़लिश ही नहीं

आल-ए-अहमद सूरूर

शिद्दत-ए-ज़ात ने ये हाल बनाया अपना

आग़ा अकबराबादी

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

चाहत ग़म्ज़े जता रही है

आग़ा अकबराबादी

यही नहीं कि फ़क़त प्यार करने आए हैं

आग़ा निसार

भगवान कृष्ण के चरनों में श्रधा के फूल चढ़ाने को

आफ़ताब राईस पानीपती

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़

आँधियाँ ग़म की चलीं और कर्ब-बादल छा गए

अाबिदा उरूज

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