रंग Poetry (page 3)

जब भी तुझे देखा किसी बोहरान में देखा

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

जुनून-ए-इश्क़-ए-सर बेदार भी है

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

इतनी शिद्दत से गले मुझ को लगाया हुआ है

ज़िया ज़मीर

आख़िरश कर लिया क़ुबूल हमें

ज़िया ज़मीर

ताबा कै

ज़िया जालंधरी

सुब्ह से शाम तक

ज़िया जालंधरी

ख़ुद फ़रेब

ज़िया जालंधरी

कसक

ज़िया जालंधरी

कही अन-कही

ज़िया जालंधरी

हम

ज़िया जालंधरी

चाक

ज़िया जालंधरी

अधूरी

ज़िया जालंधरी

आँसू

ज़िया जालंधरी

तिरी निगह से इसे भी गुमाँ हुआ कि मैं हूँ

ज़िया जालंधरी

मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ

ज़िया जालंधरी

कितनी देर और है ये बज़्म-ए-तरब-नाक न कह

ज़िया जालंधरी

कितने इम्काँ थे जो ख़्वाबों के सहारे देखे

ज़िया जालंधरी

ख़ून के दरिया बह जाते हैं ख़ैर और ख़ैर के बीच

ज़िया जालंधरी

ऐ दिल-नशीं तलाश तिरी कू-ब-कू न थी

ज़िया जालंधरी

आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

ज़िया जालंधरी

मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी

ज़िया फ़तेहाबादी

वो न जाने क्या समझा ज़िक्र मौसमों का था

ज़ेहरा निगाह

ज़ेहरा ने बहुत दिन से कुछ भी नहीं लिक्खा है

ज़ेहरा निगाह

क़िस्सा गुल-बादशाह का

ज़ेहरा निगाह

ये क्या सितम है कोई रंग-ओ-बू न पहचाने

ज़ेहरा निगाह

ये हुक्म है कि अँधेरे को रौशनी समझो

ज़ेहरा निगाह

तिरा ख़याल फ़रोज़ाँ है देखिए क्या हो

ज़ेहरा निगाह

रात अजब आसेब-ज़दा सा मौसम था

ज़ेहरा निगाह

हर्फ़ हर्फ़ गूँधे थे तर्ज़ मुश्कबू की थी

ज़ेहरा निगाह

गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे

ज़ेहरा निगाह

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.