समुद्र Poetry (page 9)

मैं उसे तुझ से मिला देता मगर दिल मेरे

सलीम कौसर

दस्त-ए-दुआ को कासा-ए-साइल समझते हो

सलीम कौसर

मिला जो काम ग़म-ए-मो'तबर बनाने का

सलीम अहमद

कुछ हैं मंज़र हाल के कुछ ख़्वाब मुस्तक़बिल के हैं

सलीम अहमद

कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था

सलीम अहमद

जो बात दिल में थी वो कब ज़बान पर आई

सलीम अहमद

हर आँख का हासिल दूरी है

सलीम अहमद

आज तो नहीं मिलता ओर-छोर दरिया का

सलीम अहमद

आरज़ूओं का हसीं पैकर तराश

सज्जाद सय्यद

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

निखरा ख़िज़ाँ से रंग-ए-बहाराँ है इन दिनों

सज्जाद बाक़र रिज़वी

तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने

सज्जाद बलूच

तुझे खो कर मोहब्बत को ज़ियादा कर लिया मैं ने

सज्जाद बलूच

लहर उस आँख में लहराई जो बे-ज़ारी की

सज्जाद बलूच

लहर इस आँख में लहराई जो बे-ज़ारी की

सज्जाद बलूच

धीमी बारिश की लय में अहवाल सुनाते रहना

सज्जाद बाबर

हमारी रूह का नग़्मा कहाँ है?

साजिदा ज़ैदी

चलो दुनिया से मिलना छोड़ देंगे

साजिद अमजद

क्यूँ उजड़ जाती है दिल की महफ़िल

सैफ़ुद्दीन सैफ़

बेचैन हूँ ख़ूँनाबा-फ़िशानी में घिरा हूँ

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

मुझे सोचने दे

साहिर लुधियानवी

नौ-ब-नौ एक उमडता हुआ तूफ़ान था मैं

साहिल अहमद

आँख से आँसू टपका होगा

साहिल अहमद

हर रात का ख़्वाब

सहबा अख़्तर

मुझ पे ऐसा कोई शे'र नाज़िल न हो

सहबा अख़्तर

मैं बहारों के रूप में गुम था

सहबा अख़्तर

इस बे तुलूअ' शब में क्या तालेअ'-आज़माई

सहबा अख़्तर

हर घड़ी मुझ को बे-क़रार न कर

सहर महमूद

वक़्त के रंगीं गुल-दस्ते को याद आएगा ठंडा हाथ

साग़र सिद्दीक़ी

न कश्ती है न फ़िक्र-ए-ना-ख़ुदा है

साग़र निज़ामी

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