समुद्र Poetry (page 11)

कुछ साए से हर लहज़ा किसी सम्त रवाँ हैं

रशीद क़ैसरानी

कुछ साए से हर लहज़ा किसी सम्त रवाँ हैं

रशीद क़ैसरानी

दीप से दीप जलाओ तो कोई बात बने

रशीद क़ैसरानी

कभी गेसू न बिगड़े क़ातिल के

रशीद लखनवी

मोहब्बत ख़ब्त है या वसवसा है

रसा चुग़ताई

ज़िंदगी मुझ को कहाँ ले आई है

रमज़ान अली सहर

तुम्हारा क़ुर्ब वजह-ए-इज़्तिराब-ए-दिल न बन जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

ख़ुद्दारी-ए-हयात को रुस्वा नहीं किया

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

ये ज़िंदगी तो मुसलसल सवाल करती है

रख़शां हाशमी

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हवस का रंग ज़ियादा नहीं तमन्ना में

रईस फ़रोग़

गलियों में आज़ार बहुत हैं घर में जी घबराता है

रईस फ़रोग़

धूप में हम हैं कभी हम छाँव में

रईस फ़रोग़

ये फ़क़त शोरिश-ए-हवा तो नहीं

रईस अमरोहवी

शोरिश-ए-पैहम भी है अफ़्सुर्दगी-ए-दिल भी है

राही शहाबी

कल शब दिल-ए-आवारा को सीने से निकाला

इक़बाल साजिद

इक रिदा-ए-सब्ज़ की ख़्वाहिश बहुत महँगी पड़ी

इक़बाल साजिद

मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे

इक़बाल कैफ़ी

नज़र जिन की उलझ जाती है उन की ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ से

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

सुनो समुंदर की शोख़ लहरो हवाएँ ठहरी हैं तुम भी ठहरो

इक़बाल अशहर

दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा है

इक़बाल अशहर

लिक्खेंगे न इस हार के अस्बाब कहाँ तक

इनाम-उल-हक़ जावेद

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

इमरान शमशाद

तुझ को देखा तो ये लगा है मुझे

इमरान हुसैन आज़ाद

किसी के वास्ते क्या क्या हमें दुख झेलने होंगे

इम्दाद हमदानी

गरचे क़लम से कुछ न लिखेंगे मुँह से कुछ नहीं बोलेंगे

इलियास इश्क़ी

अपनी मजबूरी बताता रहा रो कर मुझ को

इफ़्तिख़ार नसीम

एक रुख़

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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