समुद्र Poetry (page 12)

शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब

इफ़्तिख़ार आज़मी

नाकामी

इफ़्तिख़ार आज़मी

शोर-ए-दरिया-ए-वफ़ा इशरत-ए-साहिल के क़रीब

इफ़्तिख़ार आज़मी

ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे हम जिन्हें सहते रहे

इफ़्फ़त ज़र्रीं

दोस्त कुछ और भी हैं तेरे अलावा मिरे दोस्त

इदरीस बाबर

शौक़ जब भी बंदगी का रहनुमा होता नहीं

इब्न-ए-मुफ़्ती

कर बुरा तो भला नहीं होता

इब्न-ए-मुफ़्ती

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

कहानी को मुकम्मल जो करे वो बाब उठा लाई

हुमैरा राहत

अब कहे जाओ फ़साने मिरी ग़र्क़ाबी के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ख़ाल-ए-रुख़्सार को दाग़-ए-मह-ए-कामिल बाँधा

हयात मदरासी

उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ

हसरत मोहानी

दानाइयाँ अटक गईं लफ़्ज़ों के जाल में

हसनैन आक़िब

ज़मीनों में सितारे बो रहा हूँ

हाशिम रज़ा जलालपुरी

आँख की राह से बुझते हुए लम्हे उतरे

हसन निज़ामी

माँगो समुंदरों से न साहिल की भीक तुम

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

हर ज़ख़्म-ए-दिल से अंजुमन-आराई माँग लो

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

मैं न दरिया हूँ न साहिल न सफ़ीना न भँवर

हसन अख्तर जलील

शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर

हसन अख्तर जलील

कर के संग-ए-ग़म-ए-हस्ती के हवाले मुझ को

हसन अख्तर जलील

आज भी तेरी ही सूरत है मुक़ाबिल मेरे

हसन अकबर कमाल

रात-दिन पुर-शोर साहिल जैसा मंज़र मुझ में था

हसन अब्बासी

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

हरी चंद अख़्तर

जम्अ हैं सारे मुसाफ़िर ना-ख़ुदा-ए-दिल के पास

हरी चंद अख़्तर

फ़ैज़-ए-दिल से मुतरिब-ए-कामिल हुआ जाता हूँ मैं

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

हक़ीर

शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं

हनीफ़ अख़गर

निगाह-ए-शौक़ क्यूँ माइल नहीं है

हामिदी काश्मीरी

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