तुम्हारा क़ुर्ब वजह-ए-इज़्तिराब-ए-दिल न बन जाए

तुम्हारा क़ुर्ब वजह-ए-इज़्तिराब-ए-दिल न बन जाए

ये मुश्किल सहल हो कर फिर कहीं मुश्किल न बन जाए

अरे ओ तिश्ना-लब ये प्यास ये अंदाज़ पीने का

समुंदर घटते घटते दूर तक साहिल न बन जाए

ये मश्कूक आदमी लूटे हैं जिस ने कारवाँ बरसों

दुआ माँगूँ कहीं ये रहबर-ए-मंज़िल न बन जाए

चला तो हूँ तिरा बख़्शा हुआ ज़ौक़-ए-तलब ले कर

ख़याल इस का रहे ये सई-ए-ला-हासिल न बन जाए

जिसे मेरी मोहब्बत ने सरापा लुत्फ़ समझा है

किसी रुख़ से वही इंसाँ मिरा क़ातिल न बन जाए

नज़र अपनी रहे उस वक़्त तक मम्नून-ए-नज़्ज़ारा

दिल-ए-जल्वा-तलब जब तक मह-ए-कामिल न बन जाए

किसी को 'रम्ज़' मज़लूमी के इस एहसास ने मारा

वो अपनों की नज़र में रहम के क़ाबिल न बन जाए

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In Hindi By Famous Poet Ramz Afaqi. is written by Ramz Afaqi. Complete Poem in Hindi by Ramz Afaqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.