सबा Poetry (page 15)

याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

किस शहर न शोहरा हुआ नादानी-ए-दिल का

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़िक्र-ए-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूँ या न करूँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बात बस से निकल चली है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

''आप की याद आती रही रात भर''

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बर्ग-ए-सदा को लब से उड़े देर हो गई

फ़हीम शनास काज़मी

आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

नहीं शौक़-ए-ख़रीदारी में दौड़े जा रहा है

एजाज़ गुल

जो क़िस्सा-गो ने सुनाया वही सुना गया है

एजाज़ गुल

दुश्वार है अब रास्ता आसान से आगे

एजाज़ गुल

दर खोल के देखूँ ज़रा इदराक से बाहर

एजाज़ गुल

यूँ न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे

एहसान दानिश

सोज़-ए-जुनूँ को दिल की ग़िज़ा कर दिया गया

एहसान दानिश

मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो

एहसान दानिश

सौग़ात

दाऊद ग़ाज़ी

दर्पन दिया हूँ दिल का मैं उस दिलरुबा के हाथ

दाऊद औरंगाबादी

तमाम नूर-ए-तजल्ली तमाम रंग-ए-चमन

दर्शन सिंह

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

दर्शन सिंह

तोहमत-ए-चंद अपने ज़िम्मे धर चले

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

तेरी गली में मैं न चलूँ और सबा चले

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

चमन में सुब्ह ये कहती थी हो कर चश्म-ए-तर शबनम

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

गया कि सैल-ए-रवाँ का बहाव ऐसा था

दानियाल तरीर

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

दाग़ देहलवी

दिल-ए-नाकाम के हैं काम ख़राब

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

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