कारण Poetry (page 3)

किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ 'वाहिद'

वाहिद प्रेमी

हम ने देखा है मोहब्बत का सज़ा हो जाना

वहीद अख़्तर

हर क़दम पर मुझे लग़्ज़िश का गुमाँ होता है

उरूज ज़ैदी बदायूनी

मिरे शानों पे उन की ज़ुल्फ़ लहराई तो क्या होगा

उनवान चिश्ती

कभी किसी ने जो दिल दुखाया तो दिल को समझा गई उदासी

त्रिपुरारि

मिरी सच्चाई हर सूरत तिरी मुट्ठी से निकलेगी

ताैफ़ीक़ साग़र

नाम लोगे जो याँ से जाने का

मीर तस्कीन देहलवी

आज इस वक़्त वो जब याद आया

तारिक़ राशीद दरवेश

मेरे ज़ख़्मों का सबब पूछेगी दुनिया तुम से

तारिक़ क़मर

ये आरज़ू थी उसे आइना बनाते हम

तारिक़ क़मर

अपनी पलकों के शबिस्तान में रक्खा है तुम्हें

तारिक़ क़मर

हवा का हुक्म भी अब के नज़र में रक्खा जाए

तारिक़ नईम

अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोए

तारिक़ नईम

यहाँ के लोग हैं बस अपने ही ख़याल में गुम

तारिक़ मतीन

निरवान

ताऊस

कोई शिकवा था शिकायत थी गिला था क्या था

तनवीर गौहर

बातिल-ओ-ना-हक़ से उम्मीद-ए-करम करते रहे

तनवीर गौहर

फ़रेब-ए-क़ुर्ब-ए-यार हो कि हसरत-ए-सुपुर्दगी

तनवीर अंजुम

कभी वो मिस्ल-ए-गुल मुझे मिसाल-ए-ख़ार चाहिए

तनवीर अंजुम

क्या ज़रूरी है कोई बे-सबब आज़ार भी हो

तनवीर अहमद अल्वी

लब तक आया गिला हमेशा से

ताजदार आदिल

ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से

तैमूर हसन

अजीब हम हैं सबब के बग़ैर चाहते हैं

ताहिर फ़राज़

सितम-ज़रीफ़ी की सूरत निकल ही आती है

तफ़ज़ील अहमद

ख़ामोश भी रह जाए और इज़हार भी कर दे

तफ़ज़ील अहमद

सब ग़म कहें जिसे कि तमन्ना कहें जिसे

ताबिश देहलवी

है क्या सबब कि यार न आया ख़बर के तईं

ताबाँ अब्दुल हई

लड़का जो ख़ूब-रू है सो मुझ से बचा नहीं

ताबाँ अब्दुल हई

ग़ैर के हाथ में उस शोख़ का दामान है आज

ताबाँ अब्दुल हई

महफ़िल से उठाने के सज़ा-वार हमीं थे

तअशशुक़ लखनवी

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