आराम Poetry (page 5)

शायद अभी कमी सी मसीहाइयों में है

गुलनार आफ़रीन

मुझे किस तरह से न हो यक़ीं कि उसे ख़िज़ाँ से गुरेज़ है

ग़ुबार भट्टी

अजब इंक़लाब का दौर है कि हर एक सम्त फ़िशार है

ग़ुबार भट्टी

यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है

ग़ज़नफ़र

इक सर्द-जंग का है असर मेरे ख़ून में

ग़ौसिया ख़ान सबीन

आप अपने को मो'तबर कर लें

ग़नी एजाज़

सुब्हों जैसे लोग

गीताञ्जलि राय

नफ़रत

गीताञ्जलि राय

इतवार की दोपहर

गीताञ्जलि राय

दिल तमाम आईने तीरा कौन रौशन कौन

गौहर होशियारपुरी

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं

फ़िराक़ गोरखपुरी

नर्म फ़ज़ा की करवटें दिल को दुखा के रह गईं

फ़िराक़ गोरखपुरी

अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है

फ़िराक़ गोरखपुरी

कोहसारों में नहीं है कि बयाबाँ में नहीं

फ़ाज़िल अंसारी

गो इस सफ़र में थक के बदन चूर हो गया

फ़र्रुख़ जाफ़री

अपनी ग़ज़ल को ख़ून का सैलाब ले गया

फ़ारूक़ नाज़की

ना-रसाई

फ़रहत एहसास

अगर मैं चीख़ूँ

फ़रहत एहसास

ज़ब्त अपना शिआर था न रहा

फ़ानी बदायुनी

हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री

फ़ानी बदायुनी

दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था

फ़ानी बदायुनी

तलाश

फख्र ज़मान

तसव्वुर में कोई आया सुकून-ए-क़ल्ब-ओ-जाँ हो कर

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

जो दिल को पहले मयस्सर था क्या हुआ उस का

फ़ैज़ी

दिल जिस का दर्द-ए-इश्क़ का हामिल नहीं रहा

फ़ैज़ुल हसन

ज़मीन पर न रहे आसमाँ को छोड़ दिया

फ़हीम शनास काज़मी

ऐ ग़म-ए-दिल ये माजरा क्या है

एलिज़ाबेथ कुरियन मोना

नूर की किरन उस से ख़ुद निकलती रहती है

एजाज़ सिद्दीक़ी

रूह-ए-आवारा

दाऊद ग़ाज़ी

तिरे बग़ैर

दर्शिका वसानी

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