सजा Poetry (page 3)

अक्स-ए-ज़ंजीर पे जाँ देने के पहलू दूँगा

तसनीम फ़ारूक़ी

उस ने इक बार भी पूछा नहीं कैसा हूँ मैं

तारिक़ क़मर

ग़म की दीवार को मैं ज़ेर-ओ-ज़बर कर न सका

तारिक़ मतीन

बेटे को सज़ा दे के अजब हाल हुआ है

तनवीर सिप्रा

ये बात दश्त-ए-वफ़ा की नहीं चमन की है

तनवीर अहमद अल्वी

मिल भी जाता जो आब आब-ए-बक़ा क्या करते

तनवीर अहमद अल्वी

दर्द की लय को बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी

तनवीर अहमद अल्वी

मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है

तैमूर हसन

मैं ने बख़्श दी तिरी क्यूँ ख़ता तुझे इल्म है

तैमूर हसन

ज़िंदा हूँ कि मरना मिरी क़िस्मत में लिखा है

ताबिश सिद्दीक़ी

इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी

एक जल्वा ब-सद अंदाज़-ए-नज़र देख लिया

ताबिश देहलवी

लुत्फ़ का रब्त है कोई न जफ़ा का रिश्ता

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

महफ़िल से उठाने के सज़ा-वार हमीं थे

तअशशुक़ लखनवी

बड़ी हैरत से अरबाब-ए-वफ़ा को देखता हूँ मैं

सय्यद ज़मीर जाफ़री

दिल का दरवाज़ा खुला हो जैसे

सय्यद मुनीर

अब्र का माहताब का भी था

सय्यद मुनीर

कराची का ट्रैफ़िक

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

ऐब्स्ट्रैक्ट आर्ट

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

आदमी

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

क्यूँ मिल रही है उन को सज़ा चीख़ती रही

सय्यद अनवार अहमद

हम दोज़ख़-ए-एहसास में जलते ही रहेंगे

सय्यद अहमद शमीम

वो दश्त-ए-तीरगी है कि कोई सदा न दे

सय्यद अहमद शमीम

वाइज़-ए-शहर ख़ुदा है मुझे मा'लूम न था

सय्यद आबिद अली आबिद

सूने सूने से फ़लक पर इक घटा बनती हुई

स्वप्निल तिवारी

ऐसी अच्छी सूरत निकली पानी की

स्वप्निल तिवारी

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र-ए-आइंदा न हो

सुरूर बाराबंकवी

हम मुतमइन हैं उस की रज़ा के बग़ैर भी

सुल्तान अख़्तर

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