सजा Poetry (page 18)

चश्मा-ए-बद-मस्त को फिर शेवा-ए-दिल-दारी दे

अली सरदार जाफ़री

दर-ए-शही से दर-ए-गदाई पे आ गया हूँ

अली मुज़म्मिल

टूटम टूट गया

अली मोहम्मद फ़र्शी

होली

अली जव्वाद ज़ैदी

मुझे तो इंतिज़ार-ए-इश्क़ में ही लुत्फ़ आता है

अलीना इतरत

हैरत से देखता हुआ चेहरा किया मुझे

अकरम नक़्क़ाश

बे-चारगी

अख़्तर-उल-ईमान

इरफ़ान-ओ-आगही के सज़ा-वार हम हुए

अख़्तर ज़ियाई

क़िस्मत में दर्द है तो दवा ही न लाऊँगा

अख़तर शाहजहाँपुरी

किस जुर्म-ए-आरज़ू की सज़ा है ये ज़िंदगी

अख़्तर सईद ख़ान

चंद उलझी हुई साँसों की अता हूँ क्या हूँ

अख़्तर सईद ख़ान

लज़्ज़त-ए-दर्द मिली जुर्म-ए-मोहब्बत में उसे

अख़तर मुस्लिमी

इंसाफ़ के पर्दे में ये क्या ज़ुल्म है यारो

अख़तर मुस्लिमी

दी उस ने मुझ को जुर्म-ए-मोहब्बत की वो सज़ा

अख़तर मुस्लिमी

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

अख़तर मुस्लिमी

जुर्म-ए-हस्ती की सज़ा क्यूँ नहीं देते मुझ को

अख़तर इमाम रिज़वी

तर्क-ए-वादा कि तर्क-ए-ख़्वाब था वो

अख़्तर हुसैन जाफ़री

ख़ुद-फ़रामोश जो पाया है मुझे दुनिया ने

अख़तर बस्तवी

तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना

अख़्तर अंसारी

अपनी बहार पे हँसने वालो कितने चमन ख़ाशाक हुए

अख़्तर अंसारी

सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर

अकबर इलाहाबादी

दर्द तो मौजूद है दिल में दवा हो या न हो

अकबर इलाहाबादी

किया है मैं ने तआ'क़ुब वो सुब्ह-ओ-शाम अपना

अकबर अली खान अर्शी जादह

यूँ तुझ से दूर दूर रहूँ ये सज़ा न दे

आजिज़ मातवी

जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं

अजय सहाब

शहर-ए-हवा में जलते रहना अंदेशों की चौखट पर

ऐतबार साजिद

जो मैं ने कह दिया उस से मुकरने वाला नहीं

ऐनुद्दीन आज़िम

क्या किसी बात की सज़ा है मुझे

ऐन इरफ़ान

एक रंगीन ख़्वाब है दुनिया

अहसन इमाम अहसन

उम्र का आख़िरी दिन

अहमद ज़फ़र

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