सजा Poetry (page 17)

ये नर्म हाथ मरे हाथ में थमा दीजे

अनवर अंजुम

नए दिनों के नए सहीफ़ों में ज़िक्र-ए-मेहर-ओ-वफ़ा नहीं है

अनवर अलीमी

क्या ख़बर थी कि तिरे साथ ये दुनिया होगी

अंजुम सिद्दीक़ी

बा-वफ़ा हूँ मिरी ख़ता है ये

अंजुम सिद्दीक़ी

है वाक़िआ कुछ और रिवायत कुछ और है

अंजुम रूमानी

हज़ारों साल चलने कि सज़ा है

अंजुम लुधियानवी

दस्तार-ए-हुनर बख़्शिश-ए-दरबार नहीं है

अंजुम ख़लीक़

रोज़ अख़बार में छप जाने से मिलता क्या है

अनजुम अब्बासी

काम इश्क़-ए-बे-सवाल आ ही गया

आनंद नारायण मुल्ला

जो पूछते हैं कि ये इश्क़-ओ-आशिक़ी क्या है

अमजद नजमी

ज़िंदगी दर्द भी दवा भी थी

अमजद इस्लाम अमजद

ग़रज़ पड़ने पे उस से माँगता है

अमित शर्मा मीत

अपने हिस्से की अना दूँ तो अना दूँ किस को

अमित शर्मा मीत

न पूछ मंज़र-ए-शाम-ओ-सहर पे क्या गुज़री

अमीर क़ज़लबाश

मेरी पहचान है क्या मेरा पता दे मुझ को

अमीर क़ज़लबाश

दूर बैठा हुआ तन्हा सब से

अमीर क़ज़लबाश

मज़ीद इक बार पर बार-ए-गिराँ रक्खा गया है

अमीर इमाम

यूँ हुआ है चाक मल्बूस-ए-यक़ीं सिलता नहीं

अमीक़ हनफ़ी

है नूर-ए-ख़ुदा भी यहाँ इरफ़ान-ए-ख़ुदा भी

अमीक़ हनफ़ी

ज़िंदगी एक सज़ा हो जैसे

अमीन राहत चुग़ताई

जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता

अम्बर खरबंदा

ताज़ीर-ए-जुर्म-ए-इश्क़ है बे-सर्फ़ा मोहतसिब

अल्ताफ़ हुसैन हाली

यूँ निभाता हूँ मैं रिश्ते 'आलोक'

आलोक यादव

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी

अल्लामा इक़बाल

अबुल-अला-म'अर्री

अल्लामा इक़बाल

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल

ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

अल्लामा इक़बाल

पैराहन-ए-शरर

अली सरदार जाफ़री

लू के मौसम में बहारों की हवा माँगते हैं

अली सरदार जाफ़री

हम जो महफ़िल में तिरी सीना-फ़िगार आते हैं

अली सरदार जाफ़री

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