सजा Poetry (page 16)

एक यूसुफ़ के ख़रीदार हुए हैं हम लोग

अासिफ़ शफ़ी

दिल है कि हमें फिर से उधर ले के चला है

अासिफ़ जमाल

दर्द लेंगे न हम दवा लेंगे

अशरफ़ नक़वी

अब इस से पहले कि दुनिया से मैं गुज़र जाऊँ

अशोक साहिल

गुलशन गुलशन शोला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

गुलशन गुलशन शो'ला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को

असग़र मेहदी होश

इक उम्र मह-ओ-साल की ठोकर में रहा हूँ

असग़र गोरखपुरी

जो सज़ा दीजे है बजा मुझ को

असर लखनवी

हम-साई

असद जाफ़री

देखें महशर में उन से क्या ठहरे

आरज़ू लखनवी

माँगने से क़ज़ा नहीं मिलती

अरुण कुमार आर्य

फ़लसफ़ी किस लिए इल्ज़ाम-ए-फ़ना देता है

अर्शी भोपाली

वो इक लम्हा सज़ा काटी गई थी जिस की ख़ातिर

अरशद जमाल 'सारिम'

पलट कर देखने का मुझ में यारा ही नहीं था

अरशद जमाल 'सारिम'

उस का अंजाम भला हो कि बुरा हो कुछ हो

अरशद जमाल हश्मी

शर्त-ए-दीवार-ओ-दर-ओ-बाम उठा दी है तो क्या

अरशद अब्दुल हमीद

जिंस-ए-मख़लूत हैं और अपने ही आज़ार में हैं

अरशद अब्दुल हमीद

ज़ंजीर से उठती है सदा सहमी हुई सी

अर्श सिद्दीक़ी

वक़्त का झोंका जो सब पत्ते उड़ा कर ले गया

अर्श सिद्दीक़ी

दरवाज़ा तिरे शहर का वा चाहिए मुझ को

अर्श सिद्दीक़ी

अज़ाब-ए-बे-दिली-ए-जान-ए-मुब्तला न गया

अर्श सिद्दीक़ी

कितनी हसरत से तिरी आँख का बादल बरसा

आरिफ़ अब्दुल मतीन

मज़ा देता है याद आ कर तिरा बिस्मिल बना देना

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

शक नहीं है हमें उस बुत के ख़ुदा होने में

अनवर शऊर

मैं बज़्म-ए-तसव्वुर में उसे लाए हुए था

अनवर शऊर

इज़ाफ़ी ज़रूरतों के लिए एक नज़्म

अनवर सेन रॉय

दर्द बढ़ता ही रहे ऐसी दवा दे जाओ

अनवर मसूद

शिकस्ता-पा ही सही दूर की सदा ही सही

अनवार फ़िरोज़

यूसुफ़-ए-हुस्न का हुस्न आप ख़रीदार रहा

अनवर देहलवी

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