ताज़ीर-ए-जुर्म-ए-इश्क़ है बे-सर्फ़ा मोहतसिब
ताज़ीर-ए-जुर्म-ए-इश्क़ है बे-सर्फ़ा मोहतसिब
बढ़ता है और ज़ौक़-ए-गुनह याँ सज़ा के ब'अद
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ताज़ीर-ए-जुर्म-ए-इश्क़ है बे-सर्फ़ा मोहतसिब
बढ़ता है और ज़ौक़-ए-गुनह याँ सज़ा के ब'अद
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