रात Poetry (page 53)

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए

हैदर अली आतिश

क़ुदरत-ए-हक़ है सबाहत से तमाशा है वो रुख़

हैदर अली आतिश

क़िस्सा-ए-सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ न कहना बेहतर

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

मय-ए-गुल-रंग से लबरेज़ रहें जाम सफ़ेद

हैदर अली आतिश

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

हैदर अली आतिश

कोई अच्छा नहीं होता है बरी चालों से

हैदर अली आतिश

ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ

हैदर अली आतिश

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

हैदर अली आतिश

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

हैदर अली आतिश

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हैदर अली आतिश

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

हैदर अली आतिश

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी

हैदर अली आतिश

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया

हैदर अली आतिश

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

बर्क़ को उस पर अबस गिरने की हैं तय्यारियाँ

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

आख़िर-ए-कार चले तीर की रफ़्तार क़दम

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

शरर-अफ़शाँ वो शरर-ख़ू भी नहीं

हफ़ीज़ ताईब

है वज्ह-ए-सुकून-ए-दिल-ए-आशुफ़्ता-नवा भी

हाफ़िज़ लुधियानवी

आज यूँ दर्द तिरा दिल के उफ़ुक़ पर चमका

हाफ़िज़ लुधियानवी

गुदाज़-ए-दिल से मिला सोज़िश-ए-जिगर से मिला

हफ़ीज़ मेरठी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

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