रात Poetry (page 52)

तुलूअ' से पहले

हमीदा शाहीन

रात

हमीदा शाहीन

हर शख़्स अपने आप में सहमा हुआ सा है

हामिद सरोश

तपते सहराओं की सौग़ात लिए बैठा है

हामिद मुख़्तार हामिद

सवाल दिल का शाम-ए-ग़म को और उदास कर गया

हमीद नसीम

है यक दो नफ़स सैर-ए-जहान-ए-गुज़राँ और

हमीद नसीम

याद माज़ी के चराग़ों को बुझाया न करो

हमीद अलमास

मरता भला है ज़ब्त की ताक़त अगर न हो

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

कुछ बात ही थी ऐसी कि थामे जिगर गए

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए

हकीम नासिर

कोई पयाम अब न पयम्बर ही आएगा

हकीम मंज़ूर

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

हैदर क़ुरैशी

वस्ल की शब थी और उजाले कर रक्खे थे

हैदर क़ुरैशी

ज़ियारत होगी काबे की यही ताबीर है इस की

हैदर अली आतिश

वही पस्ती ओ बुलंदी है ज़मीं की आतिश

हैदर अली आतिश

हर शब शब-ए-बरात है हर रोज़ रोज़-ए-ईद

हैदर अली आतिश

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

हैदर अली आतिश

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

शब-ए-वस्ल थी चाँदनी का समाँ था

हैदर अली आतिश

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