सितम Poetry (page 37)

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

आग़ा हज्जू शरफ़

नौजवानी में अजब दिल की लगी होती है

अफ़ज़ल पेशावरी

मैं ने दिल-ए-बे-ताब पे जो जब्र किया है

अफ़ज़ल परवेज़

मिरी दीवानगी की हद न पूछो तुम कहाँ तक है

अफ़ज़ल इलाहाबादी

गो सुध नहीं उस शोख़ सितमगर ने सँभाली

आफ़ताब शाह आलम सानी

उस ने क्यूँ सब से जुदा मेरी पज़ीराई की

अफ़ीफ़ सिराज

शामिल था ये सितम भी किसी के निसाब में

अदीम हाशमी

लोगों के दर्द अपनी पशेमानियाँ मिलीं

अदीम हाशमी

आग़ोश-ए-सितम में ही छुपा ले कोई आ कर

अदीम हाशमी

मिरे शौक़-ए-जुस्तुजू का किसे ए'तिबार होता

अदीब सहारनपुरी

वही ना-सबूरी-ए-आरज़ू वही नक़्श-ए-पा वही जादा है

अदा जाफ़री

तौफ़ीक़ से कब कोई सरोकार चले है

अदा जाफ़री

बेगानगी-ए-तर्ज़-ए-सितम भी बहाना-साज़

अदा जाफ़री

नई सुब्ह चाहते हैं नई शाम चाहते हैं

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

नुमू तो पहले भी था इज़्तिराब मैं ने दिया

अबुल हसनात हक़्क़ी

अगर मेरी जबीन-ए-शौक़ वक़्फ़-ए-बंदगी होती

अबु मोहम्मद वासिल

सब इक न इक सराब के चक्कर में रह गए

अबु मोहम्मद सहर

फूलों की तलब में थोड़ा सा आज़ार नहीं तो कुछ भी नहीं

अबु मोहम्मद सहर

बस्तियाँ लुटती हैं ख़्वाबों के नगर जलते हैं

अबु मोहम्मद सहर

कहो तुम किस सबब रूठे हो प्यारे बे-गुनह हम सीं

आबरू शाह मुबारक

गुनाहगारों की उज़्र-ख़्वाही हमारे साहिब क़ुबूल कीजे

आबरू शाह मुबारक

उस ने कल भागते लम्हों को पकड़ रक्खा था

अबरार आज़मी

हैराँ नहीं हैं हम कि परेशाँ नहीं हैं हम

अब्र अहसनी गनौरी

जब आसमान पर मह-ओ-अख़्तर पलट कर आए

आबिद मुनावरी

दिल में लिए औहाम को इस घर से उठा मैं

अब्दुर्राहमान वासिफ़

अच्छा है कोई तीर-बा-नश्तर भी ले चलो

अब्दुल्लतीफ़ शौक़

करते नहीं जफ़ा भी वो तर्क-ए-वफ़ा के साथ

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

अदब में मुद्दई-ए-फ़न तो बे-शुमार मिले

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

सितम सा कोई सितम है तिरा पनाह तिरी

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

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