मांग Poetry (page 32)

इंतिज़ार बाक़ी है

अब्दुल अहद साज़

ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन

अब्दुल अहद साज़

सोच कर भी क्या जाना जान कर भी क्या पाया

अब्दुल अहद साज़

सवाल का जवाब था जवाब के सवाल में

अब्दुल अहद साज़

सवाल बे-अमान बन के रह गए

अब्दुल अहद साज़

सबक़ उम्र का या ज़माने का है

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

मिरी निगाहों पे जिस ने शाम ओ सहर की रानाइयाँ लिखी हैं

अब्दुल अहद साज़

जीतने मारका-ए-दिल वो लगातार गया

अब्दुल अहद साज़

बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम

अब्दुल अहद साज़

अज़दवाजी ज़िंदगी भी और तिजारत भी अदब भी

अब्दुल अहद साज़

तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं

अब्बास ताबिश

मुसाफ़िरत में शब-ए-वग़ा तक पहुँच गए हैं

अब्बास ताबिश

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता

अब्बास ताबिश

एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है

अब्बास ताबिश

जहाँ सारे हवा बनने की कोशिश कर रहे थे

अब्बास क़मर

ये बात सच है कि तेरा मकान ऊँचा है

अब्बास दाना

सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा

आज़िम कोहली

नसरी नज़्म

आसी रिज़वी

मानूस हो गए हैं ग़म-ए-ज़िंदगी से हम

आसी रामनगरी

वहाँ पहुँच के ये कहना सबा सलाम के बाद

आसी ग़ाज़ीपुरी

इतना तो जानते हैं कि आशिक़ फ़ना हुआ

आसी ग़ाज़ीपुरी

ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम

आलोक श्रीवास्तव

ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम

आलोक श्रीवास्तव

मय-कशो देर है क्या दौर चले बिस्मिल्लाह

आग़ा अकबराबादी

सर्व-क़द लाला-रुख़ ओ ग़ुंचा-दहन याद आया

आग़ा अकबराबादी

दिल में तिरे ऐ निगार क्या है

आग़ा अकबराबादी

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