तमन्ना Poetry (page 36)

झूम कर बदली उठी और छा गई

अख़्तर शीरानी

कहाँ से लाएँगे आँसू अज़ा-दारी के मौसम में

अख़तर शाहजहाँपुरी

इक उम्र भटकते रहे घर ही नहीं आया

अख़तर शाहजहाँपुरी

नैरंगी-ए-नशात-ए-तमन्ना अजीब है

अख़्तर सईद ख़ान

कभी ज़बाँ पे न आया कि आरज़ू क्या है

अख़्तर सईद ख़ान

मैं मुंतज़िर हूँ तेरी तमन्ना लिए हुए

अख़्तर ओरेनवी

नश्तर से आरज़ू के दिल-ए-ज़िंदगी फ़िगार

अख़्तर ओरेनवी

दारू-ए-होश-रुबा नर्गिस-ए-बीमार तो हो

अख़्तर ओरेनवी

नाले मिरे जब तक मिरे काम आते रहेंगे

अख़तर मुस्लिमी

दिल के हर ज़ख़्म को पलकों पे सजाया तो गया

अख्तर लख़नवी

इक हर्फ़-ए-फ़सुर्दा दाग़ में है

अख़्तर हुसैन जाफ़री

वो रंग-ए-तमन्ना है कि सद-रंग हुआ हूँ

अख़्तर होशियारपुरी

दर्द की दौलत-ए-नायाब को रुस्वा न करो

अख़्तर होशियारपुरी

रहबर-ए-तब्ल-ओ-निशाँ और ज़रा तेज़ क़दम

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

न राज़-ए-इब्तिदा समझो न राज़-ए-इंतिहा समझो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है

अख़्तर अंसारी

जो दाग़ बन के तमन्ना तमाम हो जाए

अख़्तर अंसारी

ख़्वाब आराम नहीं ख़्वाब परेशानी है

अकबर मासूम

आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है

अकबर हैदराबादी

जब सुब्ह की दहलीज़ पे बाज़ार लगेगा

अकबर हैदराबादी

आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है

अकबर हैदराबादी

दश्त-ए-ग़ुर्बत है अलालत भी है तन्हाई भी

अकबर इलाहाबादी

आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते

अकबर इलाहाबादी

सन्नाटा तूफ़ाँ से सिवा हो ये भी तो हो सकता है

अकबर अली खान अर्शी जादह

तेरे सिवा किसी की तमन्ना करूँगा मैं

अजमल सिराज

नज़र आ रहे हैं जो तन्हा से हम

अजमल सिराज

दुश्वार है इस अंजुमन-आरा को समझना

अजमल सिराज

दर्द-ए-मुसलसल से आहों में पैदा वो तासीर हुई

आजिज़ मातवी

जिस दिल में तिरी ज़ुल्फ़ का सौदा नहीं होता

ऐश देहलवी

ख़ाकसारी थी कि बिन देखे ही हम ख़ाक हुए

ऐन ताबिश

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