प्रभावशीलता Poetry (page 7)

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

अश्क बेताब व निगह बे-बाक व चश्म-ए-तर ख़राब

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

रात तिरे ख़्वाबों ने मुझ पर यूँ अर्ज़ानी की

अंजुम सलीमी

कल तो तिरे ख़्वाबों ने मुझ पर यूँ अर्ज़ानी की

अंजुम सलीमी

है जो तासीर सी फ़ुग़ाँ में अभी

अंजुम रूमानी

कहो क्या मेहरबाँ ना-मेहरबाँ तक़दीर होती है

अंजुम ख़लीक़

रक़्स-ए-जुनूँ की गर्मी-ए-तासीर देखना

अंजुम इरफ़ानी

वस्ल की शब भी अदा-ए-रस्म-ए-हिरमाँ में रहा

अमीरुल्लाह तस्लीम

कल मिरा था आज वो बुत ग़ैर का होने लगा

अमीरुल्लाह तस्लीम

फ़िक्र है शौक़-ए-कमर इश्क़-ए-दहाँ पैदा करूँ

अमीरुल्लाह तस्लीम

जब से ज़िंदगी हुआ दिल गर्दिश-ए-तक़दीर का

अंबरीन हसीब अंबर

हश्र तक याँ दिल शकेबा चाहिए

अल्ताफ़ हुसैन हाली

हक़ीक़त महरम-ए-असरार से पूछ

अल्ताफ़ हुसैन हाली

सत्तर माओं का प्यार

अली मोहम्मद फ़र्शी

ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैं ने

अलीना इतरत

जल बुझा हूँ मैं मगर सारा जहाँ ताक में है

आलम ख़ुर्शीद

न भूल कर भी तमन्ना-ए-रंग-ओ-बू करते

अख़्तर शीरानी

मिरी आँखों से ज़ाहिर ख़ूँ-फ़िशानी अब भी होती है

अख़्तर शीरानी

दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया

अख़्तर शीरानी

कभी जो आँखों में पल-भर को ख़्वाब जागते हैं

अख़लाक़ बन्दवी

तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़

अकबर इलाहाबादी

न बहते अश्क तो तासीर में सिवा होते

अकबर इलाहाबादी

मेरे हवास-ए-इश्क़ में क्या कम हैं मुंतशिर

अकबर इलाहाबादी

जज़्बा-ए-दिल ने मिरे तासीर दिखलाई तो है

अकबर इलाहाबादी

आज आराइ-ए-शगेसू-ए-दोता होती है

अकबर इलाहाबादी

दर्द-ए-मुसलसल से आहों में पैदा वो तासीर हुई

आजिज़ मातवी

मोनिस-ए-दिल कोई नग़्मा कोई तहरीर नहीं

अहमद मुश्ताक़

रू-ए-ताबाँ माँग मू-ए-सर धुआँ बत्ती चराग़

अहमद हुसैन माइल

रेहान-सिद्दीक़ी की याद में

अहमद हमेश

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